किसानों में फूट डालने वालों से सचेत रहें: बैंस

किरती किसान यूनियन ने कुछ किसानों की तरफ से धान की फसल लाने के लिए अपनी मर्जी के मजदूरी तय करने और मजदूरों के बायकाट करने की धमकी देने की सख्त शब्दों में निदा की है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 10 Jun 2021 11:53 PM (IST) Updated:Thu, 10 Jun 2021 11:53 PM (IST)
किसानों में फूट डालने वालों से सचेत रहें: बैंस
किसानों में फूट डालने वालों से सचेत रहें: बैंस

जागरण संवाददाता, नवांशहर: किरती किसान यूनियन ने कुछ किसानों की तरफ से धान की फसल लाने के लिए अपनी मर्जी के मजदूरी तय करने और मजदूरों के बायकाट करने की धमकी देने की सख्त शब्दों में निदा की है। यूनियन के प्रदेश कमेटी मेंबर भूपिदर सिंह वड़ैच, •िाला प्रधान सुरिदर सिंह बैंस ने कहा है कि जब केंद्र सरकार के खेती कानूनों के विरुद्ध किसान म•ादूर सांझा संघर्ष लड़ रहे हैं, ऐसे मौके पर म•ादूरों-किसानों में फुट डालने की कोशिशें किसान संघर्ष के विरोधी तत्व ही कर सकते हैं। नेताओं ने किसानों को ऐसे शरारती तत्वों से सचेत रहने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय कृषि मंत्री नरिदर तोमर के ताजा बयान किसानों में भ्रम डालने वाला और निराधार है। जिसमें मंत्री ने कहा है कि किसान नेता मोदी सरकार के साथ हुई 11 मीटिग में खेती कानूनों के विरोध में ठोस दलीलें नहीं दे सके। सच्चाई यह है कि हर बातचीत में किसान मोर्चो के नेताओं ने हर मीटिग में सरकार के नुमाइंदों को उत्तर किया है। इस मौके पर तरसेम सिंह बैंस, सुरिदर सिंह महरमपुर, परमजीत सिंह सहाबपुर किसान नेता आदि उपस्थित थे। साथियों की रिहाई के लिए आज करेंगे प्रदर्शन: दलजीत जागरण संवाददाता, नवांशहर: जमहूरी अधिकार सभा, डेमोक्रेटिक लायर्स एसोसिएशन बस अड्डा नवांशहर में आज सुबह 10:30 बजे जेलों में बंद बुद्धिजीवियों की रिहाई के लिए प्रदर्शन करेगा। डीएलए के प्रदेश कनवीनर दलजीत सिंह एडवोकेट, जमहूरी अधिकार सभा के प्रदेश प्रेस सचिव बूटा सिंह और •िाला सचिव जसबीर दीप ने बताया की 2018 को छह जून के दिन महाराष्ट्र पुलिस ने बुद्धिजीवियों और जमहूरी हकों के नेतों को कथित भीमा -कोरेगांव साजिश केस में गिरफ्तार करने का सिलसिला शुरू किया गया था। इस केस में प्रोफेसर शोमा सेन, एडवोकेट सुरिदर गैडलिग, रोना विल्सन, सुधीर ढावले, महेश रावत सहित कई अन्य को झूठे केस में जेल में बंद किया है। प्रोफेसर जीएन साइबाबा, हेम मिश्रा व प्रशांत राही आदि बुद्धिजीवी पहले ही इसी तरह के झूठे केस में कैद हैं। यह सभी सामाजिक न्याय और लोक हकों के लिए आवा•ा उठाने वाले नेता हैं। इन झूठे मामलों का एक मात्र मकसद इन बुद्धिजीवियों की जुबान बंद करना है। उन्होंने कहा कि सभी इंसाफ पसंद लोगों को चाहिए कि वह इस फासीवाद के विरुद्ध आवा•ा बुलंद करने और बुद्धिजीवियों की रिहाई के लिए आगे आएं।

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