करियाना के 15 फीसद बढ़े दामों ने बिगाड़ा रसोई बजट
नवांशहर कोरोना वायरस के कारण लगे लाकडाउन से आम जनता पर महंगाई की मार दिखनी शुरू हो गई है। एक तरफ लाकडाउन के कारण लोगों के व्यापार बंद पड़े हैं। वहीं दिहाड़ीदारों पर इसका व्यापक असर पड़ा है। उनके पास कमाई का और कोई भी रास्ता नहीं है उस पर करियाना मार्केट में दाम आसमान छू रहे हैं।
मुकंद हरि जुल्का, नवांशहर
कोरोना वायरस के कारण लगे लाकडाउन से आम जनता पर महंगाई की मार दिखनी शुरू हो गई है। एक तरफ लाकडाउन के कारण लोगों के व्यापार बंद पड़े हैं। वहीं दिहाड़ीदारों पर इसका व्यापक असर पड़ा है। उनके पास कमाई का और कोई भी रास्ता नहीं है, उस पर करियाना मार्केट में दाम आसमान छू रहे हैं। इससे लोगों की रसोई का बजट बुरी तरह से बिगड़ गया है। रिटेल मार्केट में सभी प्रकार की दालों के भाव में पिछले तीन महीनों के बाद अब में 10 से 15 प्रतिशत तेजी आई है।
दाल हो या सब्जी, दोनों को बनाने में मुख्य रूप से सरसों के तेल का प्रयोग किया जाता है। इसके बिना भोजन स्वादिष्ट नहीं लगता है। यही वजह है कि सरसों के तेल की खपत व्यापक पैमाने पर होती है। कुछ माह पहले 100 से 110 रुपये किलो बिकने वाला सरसों का तेल अब 160 रुपये लीटर तक पहुंच गया है। जिससे यह मध्यम व गरीब लोगों की पहुंच से दूर हो गया है। लोगों की रसोई का बजट खाद्य तेल ने भी बिगाड़ कर रख दिया है, क्योंकि इसकी खपत हर दिन होती है। ऐसे में गृहणियों को रसोई के संचालन में बेहद परेशानी हो रही है। कमोबेश यही हालत रिफाइंड की भी है। इस समय रिफाइंड 145 रुपये लीटर है।
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बाक्स के लिए-
दाल तीन महीने पहले दाम (प्रति किलो रुपये में) वर्तमान दाम (प्रति किलो रुपये में)
मूंग 105 120
काबुली चना 100 110
काले चने 70 80
सरसों का तेल 110 160
डालडा घी 110 140
बादाम गिरी 550 600
काजू 800 900
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सब्जियों के दाम में राहत
दुकानदार विजय के मुताबिक अभी बड़े स्तर पर शादी समागम करने पर लगी पाबंदी के बावजूद भी दामों में बढ़ोतरी आई है। अगर यह पाबंदी न होती, तो भाव और बढ़ जाते। इसी तरह सब्जियों के दाम में कुछ राहत है, जिसमें डायमंड आलू 550/50, प्याज 430/50, भिडी रिटेल में 40 रुपये किलो, करेला 20 रुपये किलो, शिमला मिर्च 20 रुपये किलो, घीया 20 रुपये किलो, गोभी 20 रुपये किलो, रामा तोरी 30 रुपये किलो के हिसाब से बिक रही है। गर्मियों में ज्यादा उपयोग होने वाला नींबू 100 रुपये प्रति किलो बिक रहा है।
वहीं सब्जियों के थोक का काम करने वाले रमेश ने बताया कि आजकल लाक डाउन के कारण शादियां नहीं हो रही हैं। हर वर्ष ही शादी के मौसम के कारण सब्जियों की मांग बेहद बढ़ जाती थी। जिससे सब्जियों के दाम बढ़ जाते थे। गर्मियों में लोकल सब्जियों के आने के कारण सब्जियों के दाम कम रहते हैं।
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सरसों के तेल के दाम रुपये में
माह प्रति लीटर
अक्टूबर 110
नवंबर 130
दिसंबर 140
जनवरी 145
फरवरी 150
मार्च 155
अप्रैल 160
मई 160
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रिफाइंड तेल के दाम रुपये में
माह प्रति लीटर
अक्टूबर 90
नवंबर 110
दिसंबर 110
जनवरी 135
फरवरी-140
मार्च-140
अप्रैल-145
मई-145