पीपल का पौधा लगाने से भगवान शिव होते हैं प्रसन्न
सावन में भगवान शिव की पूजा के पांच कारण माने गए हैं।
संवाद सूत्र, श्री मुक्तसर साहिब
सावन में भगवान शिव की पूजा के पांच कारण माने गए हैं। सबसे पहला कारण तो यह माना जाता है कि सावन के महीने में ही भगवान शिव ने सागर मंथन से प्राप्त हालाहल विष का पान किया था और सृष्टि की रक्षा की थी। ये विचार गांधी नगर में सावन माह के उपलक्ष्य में आयोजित धार्मिक कार्यक्रम दौरान कथावाचक पंडित पूरन चंद्र जोशी ने व्यक्त किए। पं. जोशी ने सावन में शिव उपासना के कारण बताते हुए कहा कि सावन में भगवन शिव को कांवड़ चढ़ाना विशेष पुण्यदायक माना जाता है।
दूसरा कारण यह है कि सावन में हवाएं ठहर जाती हैं और उमस बढ़ जाती है। ऐसे समय में विषपान के बाद जब शिव जी घुटन महसूस करने लगे तब देवताओं ने भगवान शिव को पीपल के वृक्ष के नीचे लेटा दिया क्योंकि पीपल के पत्ते हल्की हवा में भी हिलते रहते हैं और छाया प्रदान करते हैं। सावन में पीपल के वृक्ष की पूजा और पीपल के वृक्ष लगाने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं। तीसरा कारण यह है कि सावन का महीना भगवान शिव को प्रिय है इसका कारण यह भी है कि इस महीने में भगवान शिव देवी पार्वती की तपस्या से प्रसन्न हुए थे और पार्वती को पत्नी रुप में स्वीकार करने का वरदान दिया था। यही कारण है कि इस महीने में भगवान शिव के साथ देवी पार्वती की पूजा की जाती है।
सावन में शिव जी की पूजा का एक बड़ा कारण यह है कि भगवान विष्णु शयन में चले जाते हैं जिससे विष्णु भगवान के सारे काम भी शिव जी के पास आ जाते हैं। इसलिए अन्य महीनों की अपेक्षा सावन में शिव की पूजा अधिक फलदायक मानी जाती है। पांचवा कारण एक मान्यता यह भी है कि भगवान शिव सावन में धरती पर रुद्र रूप में वास करते हैं। रुद्र शिव का वह स्वरुप है जो खुश हो जाए तो हर मनोकामना झट से पूरी हो जाए और कुपित हो जाए तो सर्वनाश कर दें। इसलिए सावन में पूरी धरती शिमय हो जाती है। सावन का पूरा महीना यूं तो भगवान शिव को अर्पित होता ही है पर सावन के सोमवार को भगवान शिव की पूजा करने से विशेष फल मिलता है। भारत के सभी द्वादश शिवलिगों पर इस दिन विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। सावन के सोमवार का व्रत करने से मनचाहा जीवनसाथी मिलता है और दूध की धार के साथ भगवान शिव से जो मांगों वह वर मिल जाता है।