नदियों में गंगा और वनस्पतियों में तुलसी सर्वश्रेष्ठ : स्वामी कमलानंद
स्वामी कमलानंद गिरि जी महाराज ने श्री राम भवन में चल रहे वार्षिक समारोह में संबोधित किया।
संवाद सूत्र, श्री मुक्तसर साहिब : स्वामी कमलानंद गिरि जी महाराज ने श्री राम भवन में चल रहे वार्षिक कार्तिक महोत्सव के दौरान गंगा मैया की महिमा का बखान करते हुए कहा कि भारतवर्ष की सभी नदियों में गंगा मां का स्थान सर्वश्रेष्ठ हैं। गंगा में स्नान करने से मनुष्य के जन्म-जन्मांतर के पाप धुल जाते हैं। जल को अगर बोतल आदि में भरकर घर में रखा जाए तो कुछ दिनों में उस जल में काई जमने लगती है और जल खराब हो जाता है। जल में दुर्गंध आने लगती है। जबकि गंगा जल को सालों-साल घर में बोतल या बर्तन में भरकर रखेंगे तो भी वो खराब नहीं होगा। उसकी पवित्रता बनी रहेगी। गंगा मैय्या की ये महानता है। स्वामी जी ने कहा कि नदी में अगर मिट्टी आदि कुछ डाला जाए तो वो नीचे बैठा रहता है। मगर गंगा में अस्थियां तक जल में इस तरह घुल जाती हैं कि कहीं मिलती ही नहीं हैं।
स्वामी कमलानंद जी महाराज ने तुलसी महिमा का बखान करते हुए कहा कि वनस्पतियों में तुलसी सबसे उत्तम व श्रेष्ठ है। भारतीय संस्कृति में बट वृक्ष, पीपल के पेड़ का जितना महत्व है उससे कहीं अधिक महत्व तुलसी के पौधे का है। तुलसी के पत्ते का सेवन करने से बीमारियां पास नहीं फटकती। जो व्यक्ति आजीवन निरोग रहना चाहता है वो रोजाना एक तुलसी पत्र का सेवन जरूर करे। कार्तिक माह में तो तुलसी पूजा का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है। शास्त्रों के अनुसार इस माह शालीग्राम और तुलसी का विवाह हुआ था। इसलिए इस माह शालीग्राम व तुलसी पूजन का विशेष महत्व है। त्योहारों व खुशियों भरा महीना है कार्तिक स्वामी कमलानंद जी महाराज ने कहा कि कार्तिक माह खुशियों से भरपूर त्योहार लेकर आता है। वर्ष में इतने पर्व कभी नहीं आते हैं, जितने इस एक माह में ही आते हैं। इस माह आने वाले पर्वों में दीपावली सबसे मुख्य है। जिसका भारतीय संस्कृति में बहुत महत्व है। कार्तिक माह खुशियां लाता है। कार्तिक में अन्नदान व दीपदान करने वाले पर कृपा करते हैं कुबेर महाराज स्वामी कमलानंद गिरि जी महाराज ने कहा कि इस माह जो भी अन्नदान व दीपदान करता है उसके घर सभी खुशियां रहती हैं। कुबेर भगवान उनके भंडारे सदा भरे रखते हैं। इसलिए कार्तिक माह में अन्नदान व दीपदान का विशेष महत्व है। कार्तिक का महीना अनंत गुणा फल देने वाला महीना है। इस महीने जितने पुण्य-कर्म व दान करोगे उसका अनंत गुणा ही फल मिलेगा। स्वामी जी ने कहा कि कार्तिक पूर्णिमा भक्तों को देवों की उस दीपावली में शामिल होने का अवसर देती है।
इस माह की त्रयोदशी, चतुर्दशी और पूर्णिमा को पुराणों में अति पुष्करिणी कहा गया है। स्कंद पुराण के अनुसार जो प्राणी कार्तिक मास में प्रतिदिन स्नान करता है, वह यदि केवल इन तीन तिथियों में सूर्योदय से पूर्व स्नान करे तो भी पूर्ण फल का भागी हो जाता है।