कष्ट को सहना ही मुक्ति का मार्ग : प्रदीप रश्मि
व्यक्ति के जीवन में पग-पग पर कष्ट है। धरती पर ऐसा कोई नहींजिसेनकष्ट नहीं झेला हो।
संवाद सूत्र, मलोट (श्री मुक्तसर साहिब)
व्यक्ति के जीवन में पग-पग पर कष्ट है। धरती पर ऐसा कोई भी व्यक्ति नहीं, जिसके जीवन में कोई कष्ट न आया हो। जीवन होगा तो कष्ट भी होगा। जीवन में कष्ट क्यों आते हैं ? कष्ट आने का कारण हमारा कर्म है। जैसा बीज बोते हैं वैसा ही फल पाते हैं। सुख के बीज बोते हैं तो सुख पाते हैं और कष्ट के बीज बोते होते हैं तो कष्ट पाते हैं। पूर्व में हमने जैसी फसल के बीज बोए होते हैं ,वैसे ही फसल हमें प्राप्त होती है। यह विचार पंजाब सिंहनी प्रदीप रश्मि ने एसएस जैन सभा में श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहे।
उन्होंने कहा कि भगवान महावीर स्वामी ने 22 परिषह, कष्टों का वर्णन किया है। उन्होंने इन कष्टों को सहने की प्रेरणा दी है। सवाल यह उठता है कि कष्ट क्यों सहे जाएं। कष्टों को इसलिए सहना होता है कि इससे आंतरिक शक्ति बढ़ती है कर्म की निर्जरा होती है और व्यक्ति अपने लक्ष्य से विचलित नहीं होता है। जो कष्ट को सहन नहीं करता वह अपने लक्ष्य से भटक जाता है। कष्ट आने पर घबराएं नहीं बल्कि शूरवीरता का बाना पहन कर उन कष्टों से युद्ध करें। जो कष्टों के आगे हार मान लेते हैं कष्ट उनको घेर लेते हैं। जो कष्टों को देख करके मुस्कुरा देते हैं कष्ट पीछे हट जाते हैं। कष्ट को सहन करने के लिए अपने भीतर धैर्य के गुणों को विकसित करें। जो जितना धैर्यवान होता है वह उतना ही सहिष्णु होता है। जीवन से कष्ट समाप्त नहीं होते कष्टों को स्वीकार करना होता है। कष्टों को हंसते-हंसते सहना सीखें। जो कष्टों को सहता है वहीं मंजिल पर पहुंच पाता है।
एसएस जैन सभा के प्रधान प्रवीण जैन ने बताया दीपावली की आराधना करने लिए महासाध्वी जी भगवान महावीर स्वामी की अंतिम वाणी श्री उत्तराध्ययन जी सूत्र को श्रद्धालुओं को सुना रहे हैं।
इस अवसर पर रमेश कुमार जैन, धर्मवीर जैन, बिहारी लाल जैन, अमन कुमार जैन, विजय कुमार जैन, दर्शन जैन, लालीजी गगनेजा व सुनील गर्ग आदि उपस्थित थे।