जीवन कल्पवृक्ष के रूप में मिला : प्रदीप रश्मि
प्रदीप रश्मि ने एसएस जैन सभा मलोट के प्रांगण में श्रद्धालुओं को प्रवचन दिए।
संवाद सूत्र, मलोट (श्री मुक्तसर साहिब)
प्रदीप रश्मि ने एसएस जैन सभा मलोट के प्रांगण में श्रद्धालुओं से एक व्यापारी अपने व्यापार में गणित लगाता है कि उसने क्या खोया है, क्या पाया है, कितना लाभ हुआ है, कितनी हानि है, जीवन भी व्यापार का बहुत बड़ा प्लेटफार्म है। कभी जीवन का भी हिसाब करें कि हमने क्या पाया और क्या खोया है। आपको लगता है कि आप अपने जीवन में धन दौलत परिवार शोहरत आदि बहुत कुछ पाया है। लेकिन यह पाना यथार्थ नहीं है। यह जीवन का लक्ष्य नहीं है। अगर संसार की यह संपदा सत्य होती तो यह कभी छूटती नहीं। इंसान जब दुनिया से विदा होता है तब उसे पता चलता है कि उसने जिसे पाया समझा था वह सब खो गया। वह जैसे खाली हाथ दुनिया में आया था वैसे ही खाली हाथ चला गया। तब एहसास होता है कि उसने कुछ नहीं पाया बस खोया है। हीरे जैसा जीवन मिला था जो मिट्टी के खिलौनों के लिए व्यर्थ कर दिया । उन्होंने कहा जीवन कल्पवृक्ष है इससे बहुत कुछ पाया जा सकता है, लेकिन हमने उसे कभी अपना लक्ष्य नहीं बनाया। हमारा पाने का जो लक्ष्य रहा वह नाशवान रहा है। जो छूटने वाला है। हमने शाश्वत को लक्ष्य कभी बनाया ही नहीं इसलिए हमने शाश्वत को पाया नहीं।
इस अवसर पर एसएस जैन सभा के प्रधान प्रवीण जैन, कोषाध्यक्ष रमेश जैन धरमवीर जैन, दर्शन कुमार जैन, विजय कुमार, जैन बिहारी लाल जैन, लाली गगनेजा, अनिल गर्ग आदि उपस्थित थे।