विसंगतियां पैदा करता है दोहरा चरित्र

इंसान अपने दोहरे चरित्र को बड़ी प्रसन्नता और गौरव के साथ जीता है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 26 Sep 2020 04:23 PM (IST) Updated:Sat, 26 Sep 2020 05:32 PM (IST)
विसंगतियां पैदा करता है दोहरा चरित्र
विसंगतियां पैदा करता है दोहरा चरित्र

संवाद सूत्र, मलोट (श्री मुक्तसर साहिब)

इंसान अपने दोहरे चरित्र को बड़ी प्रसन्नता और गौरव के साथ जीता है, लेकिन उसे पता नहीं कि वही उसका दोहरा चरित्र उसके जीवन के लिए अभिशाप बन जाता है। वह कहता कुछ है और करता कुछ है। अंदर से कुछ है और बाहर से कुछ है। वह मन वचन कर्म से बहरूपिया हो गया है। इंसान गीत तो राम के गाता है और जीवन रावण के कामों से भरा रहता है। गीत एकता व प्रेम के गाता है और जीवन फूट की करतूतों से भरा रहता है। दोमुहा सांप उतना खतरनाक नहीं होता जितना दो मुंहा इंसान होता है। जब तक इंसान की करनी और कथनी के बीच की दूरी समाप्त नहीं होगी तब तक उसके जीवन में शांति नहीं आ सकती। यह बात प्रदीप रश्मि ने एसएस जैन सभा मलोट के प्रांगण में श्रद्धालुओं से कहे।

उन्होंने कहा कि दोहरे चरित्र इंसान के परिवारिक समाजिक राष्ट्रीय अध्यात्मिक जीवन में विसंगतियां और समस्या पैदा की है। दोहरे चरित्र से ही भ्रष्टाचार और बेईमानी का जन्म होता है। इंसान नहीं समझ पाई रहा है कि उसके दोहरे चरित्र से ही उसके चारों और नर्क निर्मित हुआ है। जिनके जीवन में करनी कथनी का भेद समाप्त हो जाता है वही राम कृष्ण बुद्ध नानक महावीर बनते हैं। दोहरा जीवन जीने वाले अविश्वसनीय होते हैं।

इस अवसर पर एसएस जैन सभा के प्रधान प्रवीण जैन, रमेश कुमार जैन,धर्मवीर जैन, विजय कुमार जैन, सुरेश जैन, अमन जैन, बिहारी लाल जैन, लाली गगनेजा, हरमेश कुमार आदि उपस्थित थे।

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