अंतर्मुखी बनने की प्रेरणा देता है चातुर्मास

प्रदीप रश्मि जी चतुर्मास के लिए मलोट में विराजमान है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 05 Jul 2020 03:37 PM (IST) Updated:Sun, 05 Jul 2020 05:46 PM (IST)
अंतर्मुखी बनने की प्रेरणा देता है चातुर्मास
अंतर्मुखी बनने की प्रेरणा देता है चातुर्मास

संवाद सूत्र, मलोट (श्री मुक्तसर साहिब)

प्रदीप रश्मि जी चतुर्मास के लिए मलोट में विराजमान है। उन्होंने श्रद्धालुओं को चतुर्मास चतुर्मास का महत्व बताते हुए कहा कि चतुर्मास चार माह का अध्यात्मिक शिविर है। इन चार माह में तप जप त्याग संयम का ध्यान रखा जाता है। चतुर्मास वर्षा काल भी कहा गया है। वर्षाकाल मे जीवों की उत्पत्ति बहुत होती हैं इसलिए उन चार माह में जैन संत एक स्थान पर रहकर आत्म साधना करते हैं और श्रद्धालुओं का मार्गदर्शन करते हैं। उन्होंने कहा कि आज पूरी दुनिया कोरोना महामारी से त्रस्त है ऐसी स्थिति में डॉक्टर व्यक्ति को इम्युनिटी बढ़ाने की सलाह देते हैं। विज्ञान कहता है दुनिया की जितनी भी बीमारी हैं वह सब व्यक्ति के तनाव, नकारात्मक सोच से उत्पन्न होती है। धर्म व संत व्यक्ति को सकारात्मक सोच व संयममय जीवन शैली की कला सिखाते हैं।

उन्होंने कहा कि चतुर्मास हमें हमेशा अंतर्मुखी बनने की प्रेरणा देता है। हमारी चेतना बाहर भटकती रही है। स्वयं की ओर कभी लौटे ही नहीं। इसीलिए चेतना 84 लाख योनि में परिभ्रमण करती है। जिस दिन हम अंतर्मुखी हो जाएंगे उस दिन सभी दुखों से मुक्त हो जाएंगे।

इस अवसर पर महा साध्वी जी के दर्शन करने के लिए अमनदीप सिंह भट्टी भी पहुंचे। एसएस जैन सभा के अध्यक्ष प्रवीण जैन, रमेश जैन व लाली गगनेजा ने उनका माला शाल अर्पण कर बहुमान किया। भट्टी ने प्रशासन अनुसार सुंदर व्यवस्था के लिए एसएस जैन सभा मलोट की सराहना की। उन्होंने कहा कि जैन धर्म बहुत ही अनुशासनात्मक व आडंबर रहित सीधा-साधा त्यागमय धर्म है। वह जैन धर्म के संयम त्यागमय वातावरण से प्रभावित हुए।

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