नकारात्मक सोच से बढ़ता है तनाव : दिव्यानंद गिरि
स्वामी दिव्यानंद गिरि जी ने कहा कि इंसान की सबसे बड़ी ताकत उसकी सोच होती है।
संवाद सूत्र, श्री मुक्तसर साहिब
स्वामी दिव्यानंद गिरि जी ने कहा कि इंसान की सबसे बड़ी ताकत उसकी सोच होती है। मनुष्य जैसी सोच रखेगा, वैसा ही बनेगा। बड़ी सोच का बड़ा जादू होता है। बड़ी सोच रामसेतु का काम करती है। नकारात्मक सोच जहां घर कर लेती है, वहां आपस में तनाव ही बढ़ता है। अपने से छोटों की कभी कमियां व गलतियां नहीं ढूंढनी चाहिएं। अगर जाने-जाने में भी कोई गलती कर बैठे तो उस पर वाद-विवाद खड़ा करने की बजाए उसे प्रेमपूर्वक ढंग से क्षमा करके उन्हें शिक्षा दोगे तो वैसी गलतियां वे दोबारा नहीं करेगा। स्वामी दिव्यानंद गिरि जी ने ये विचार सोमवार को श्री रघुनाथ मंदिर में माघ महात्म्य भक्ति ज्ञान यज्ञ कथा के दौरान प्रवचनों की अमृतवर्षा करते हुए व्यक्त किए।
स्वामी जी ने कहा कि मानव देह का मिलना बेहद दुर्लभ है। मानव देह पाकर भी अगर प्रभु का भजन-सिमरन न किया तो इस मानव देह का कोई लाभ नहीं। मनुष्य को मानव जीवन उपहार स्वरुप मिलता है। मनुष्य को ऐसा जीवन जीना चाहिए कि उसका उपहास न हो। चौरासी लाख योनियां भोगने के उपरांत तब कहीं जाकर मानव जीवन मिलता है। इसलिए इसका सदुपयोग करना चाहिए। सदा प्रभु सिमरन करते रहना चाहिए। सच्चे दिल से दीन-दुखियों की सेवा करनी चाहिए। सत्संग के लिए भी समय निकालना चाहिए। उन्होंने कहा कि जो सबका भला करता है भगवान उसका भी भला करते हैं। अर्थात सभी का भला करो तो खुद का भला होगा। इस मौके बड़ी गिनती में श्रद्धालुओं ने पहुंचकर स्वामी दिव्यानंद गिरि जी से आशीर्वाद प्राप्त किया।