शोहरत के लिए मनुष्य बन जाता है अंधविश्वासी : साध्वी शुभ्रा

जागरण संवाददाता, श्री मुक्तसर साहिब : दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की ओर से मुक्तसर की गली नंबर तीन

By JagranEdited By: Publish:Mon, 24 Sep 2018 03:32 PM (IST) Updated:Mon, 24 Sep 2018 03:32 PM (IST)
शोहरत के लिए मनुष्य बन जाता है अंधविश्वासी : साध्वी शुभ्रा
शोहरत के लिए मनुष्य बन जाता है अंधविश्वासी : साध्वी शुभ्रा

जागरण संवाददाता, श्री मुक्तसर साहिब : दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की ओर से मुक्तसर की गली नंबर तीन में का साप्ताहिक सत्संग कार्यक्रम करवाया गया। कार्यक्रम में आशुतोष महाराज की परम शिष्या शुभ्रा भारती ने कहा कि मानव सुख प्राप्त करने के लिए हर तरह के हथकंडे अपनाने के लिए तैयार हो जाता है या फिर रातों -रात शोहरत की प्राप्ति उसे कुछ भी करने के लिए प्रेरित करती है। यह लालसा उसके मन में किसी प्रभु कृपा का सहारा ढूढ़ने की लालसा पैदा करती है परंतु कृपा शब्द के अर्थों को समझे बिना मानव कई बार अंधविश्वासी बन जाता है या फिर किसी अपराध को जन्म देता है जो बाद में समाज के लिए एक अनसुलझी समस्या का रूप धारण कर लेती है। कृपा का सीधा अर्थ है-कर और पा, जो शुभ कर्म करने की प्रेरणा प्रदान करता है। देखा जाए तो सांसारिक भोगों की प्राप्ति होने के बाद भी व्यक्ति संतुष्ट नहीं होता क्योकि उसके अंदर कोई नई तृष्णा जन्म ले लेती है। असल संतुष्टि तो उस सचाई को जानने में है जिस को जानने से मानव हर परिस्थिति में स्थिर रह के जीवन व्यतीत कर सकता है। दरसल कृपा किसी सांसारिक सुख या वस्तु की प्राप्ति नहीं बल्कि उस परमात्मा को जान के उसकी रजा में रहते हुए अपने अंदर विकारों, तृष्णाओं, वासनाओं और इच्छाओं को मार लेना है। इस अवस्था की प्राप्ति होना ही परमात्मा की कृपा है इसलिए हमे ऐसे पूर्ण सतगुरु की खोज करनी चाहिए जो मन की इच्छाओं की पूर्ति नहीं बल्कि मन को वश में करने की विधि ब्रहम ज्ञान प्रदान करे।

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