हर घर में हो तुलसी का पूजन

श्री राम भवन में चल रहे वार्षिक कार्तिक महोत्सव के तहत सातवें दिन भी प्रवचन जारी रहा।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 27 Oct 2021 03:19 PM (IST) Updated:Wed, 27 Oct 2021 03:19 PM (IST)
हर घर में हो तुलसी का पूजन
हर घर में हो तुलसी का पूजन

संवाद सूत्र, श्री मुक्तसर साहिब

श्री राम भवन में चल रहे वार्षिक कार्तिक महोत्सव के तहत सातवें दिन स्वामी कमलानंद गिरि ने कहा कि जब महाभारत में राज्याभिषेक की तैयारी होने लगी, तो उसमें हजारों प्रकार का सामान लिखवाया गया लेकिन तुलसी भूल गए। भगवान कृष्ण ने कहा जितना लिखवा दिया गया सब व्यर्थ है, क्योंकि तुलसी नहीं है। यदि तुलसी आ जाए तब चाहे और कुछ हो या न हो सब सार्थक है।

श्रीकृष्ण कहते हैं कि तुलसी से मेरी सबसे ज्यादा पूजा होती है। स्वामी ने कहा कि तुलसी का पूजन हर घर में जरूर होता रहना चाहिए। तुलसी, शालिग्राम और रुद्राक्ष बहुत कीमती वस्तु हैं। जहां रुद्राक्ष होता है वहां कभी बिजली नहीं गिरती। जहां तुलसी होती है वहां किसी को जल्दी मलेरिया नहीं होता। चार पत्ते तुलसी के रोज आपके शरीर में प्रवेश कर जाए इसका मतलब है कि मलेरिया के कीटाणु कभी आपके शरीर में प्रभाव नहीं डाल सकते। प्रत्येक पकवान में तुलसी डालकर प्रसाद पाना चाहिए। इससे फायदा यह है कि हमारा शरीर भी तुलसी जैसा बन जाएगा।

कार्तिक के महीने में हर सनातनी व्यक्ति को महामंत्र का जप करना चाहिए। राधा के श्राप से वृंदा मृत्यु लोक में आई। बद्रीनाथ में कठोर तप किया और सारा जीवन जालंधर के साथ विवाह के पश्चात पतिव्रत धर्म का पालन किया। नारी का चरित्रवान होकर जीना उसके जीवन का सर्वोत्तम तप है। महाराज ने कहा कि राम-राम कह देना सरल है। कृष्ण कृष्ण कह देना भी सरल है। ठाकुर पूजा और प्रभु को स्नान कराना भी सरल है। कथा सुनना व जप करना भी सरल है, लेकिन अपने जीवन को पवित्र और चरित्रवान बना कर रखना बहुत कठिन है। हमारे संपूर्ण शास्त्र यही कहते हैं कि अपने जीवन को पवित्र रखने का हर संभव प्रयास करते रहना चाहिए अन्यथा जैसे फूटे घड़े में पानी भरने से पानी सारा बह जाता है और घड़ा खाली रह जाता है वैसे ही चरित्रहीन और अपवित्र व्यक्ति का हाल भी फूटे घड़ी की तरह होता है। स्वामी ने कहा कि पाप व्यक्ति को मारता है और धर्म बचाता है। कोई भी व्यक्ति धर्म करते हुए मर नहीं सकता। पाप करते हुए व्यक्ति मारा जाता है। शरीर बिल्कुल शुद्ध है तब भूत, प्रेत-पिशाच आपके शरीर को छू नहीं सकते। इसके विपरीत शरीर अशुद्ध है तो सारी ऊपरी छाया आपके ऊपर चिपक जाएगी। इसलिए शरीर की शुद्धि और परमात्मा का निरंतर चितन जीवन का अभिन्न अंग होना चाहिए। कार्यक्रम के आयोजक रमन जैन ने बताया कि कार्तिक के पावन अवसर पर शहरवासी ब्रह्म मुहूर्त में ऐसे ही नियमित रूप से सत्कर्म में भाग लेते रहें।

इस मौके पर नत्थू राम गोयल, धर्मपाल गावड़ी, कृष्ण लाल गावड़ी, अनिल वाट्स, लाला मेघराज, विजय चावला, योगेश बांसल, हनी भाटिया समेत अनेकों श्रद्धालुओं ने महाराज जी का पूजन करके माल्यार्पण एवं पुष्प अर्पण किया।

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