चार प्रदक्षिणा का अर्थ है धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष सिद्ध करना

स्वामी कमलानंद गिरि ने लोगों को कार्तिक महात्म्य की कथा सुनाई

By JagranEdited By: Publish:Sun, 24 Oct 2021 03:17 PM (IST) Updated:Sun, 24 Oct 2021 03:17 PM (IST)
चार प्रदक्षिणा का अर्थ है धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष सिद्ध करना
चार प्रदक्षिणा का अर्थ है धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष सिद्ध करना

संवाद सूत्र, श्री मुक्तसर साहिब

स्वामी कमलानंद गिरि ने कार्तिक महात्म्य सुनाते हुए कहा कि जो सर्वज्ञ होता है, वह परमात्मा ही होता है। लौकिक, आलौकिक, वैज्ञानिक, आध्यात्मिक, इहलोक, परलोक, सृष्टि के सप्त द्वीप, नवखंड, जलचर, थलचर, गगन चर, स्थावर, जंगम, जीव, जंतु, कीट, पतंग, 33 करोड़ देवी देवता, अरबों की संख्या में दैत्य-दानव, यानी कि जो सम्पूर्ण पृथ्वी के कण-कण, एवं रग-रग को भली-भांति जानता और समझता है वह ही ईश्वर कहलाता है। स्वामी ने ये विचार श्री राम भवन आयोजित कार्तिक महोत्सव के दौरान रविवार को श्रद्धालुओं के समक्ष प्रवचनों की अमृतवर्षा करते हुए व्यक्त किए। स्वामी जी ने कहा कि जगत जननी मां दुर्गा की एक प्रदक्षिणा (परिक्रमा) करनी चाहिए। यज्ञ के बाद अग्नि के हवन कुंड की व यज्ञशाला की सात प्रदक्षिणा होनी चाहिए। भगवान विष्णु की चार प्रदक्षिणा की जाती है। चार प्रदक्षिणा का अर्थ है धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष सिद्ध करना। भगवान की और भगवान के मंदिर की प्रदक्षिणा जीवन की सभी परीक्षाओं में पास कराने वाली होती है।

स्वामी ने कार्तिक माह का महत्व बताते हुए कहा कि कार्तिक माह सभी महीनों में सर्वश्रेष्ठ है। इस माह किए गए सद्कर्म अनंत गुणा फलदायी होते हैं। इस माह मनुष्य को रोज ब्रह्म मुहुर्त में उठकर स्नानादि से निवृत होकर भगवान विष्णु का जाप करना चाहिए। जो भक्त इस माह भगवान विष्णु की भजन-बंदगी करता है उसके सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं। उन्होंने कहा कि इस माह जितने व्रत व त्योहार आते हैं, उतने किसी अन्य महीने में नहीं आते हैं। कार्तिक का महीना खुशियों से भरपूर त्योहारों का माह है। इस माह करवा चौथ के बाद अहोई अष्टमी, धनतेरस, दीपावली, विश्वकर्मा जयंती, गोवर्धन पूजा, भैय्या दूज समेत अनेकों त्योहार आते हैं, जो खुशियों से भरपूर त्योहार हैं। भारतीय परंपरा में इन त्योहारों का विशेष महत्व है। इसलिए इस माह को सबसे सर्वश्रेष्ठ कहा गया है। श्रद्धालुओं को इस माह लह्सुन व प्याज का बिल्कुल सेवन नहीं करना चाहिए। स्वामी ने कहा कि इस माह तुलसी पूजन व तुलसी सेवन करने का विशेष महत्व है। यूं तो हर समय तुलसी पूजन व आराधना करना श्रेयस्कर होता है, मगर कार्तिक माह में तुलसी पूजा का महत्व कई गुणा अधिक माना गया है क्योंकि तुलसी भगवान विष्णु को अतिप्रिय है। इस माह भूमि पर सोने का विधान भी है। माना गया है कि भूमि पर सोने से मन में सात्विकता का भाव आता है। कार्तिक माह में ब्रह्मचर्य का अवश्य पालन करना चाहिए।

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