रोग विनाशक, यमदूतों के भय से मुक्ति प्रदान करती है तुलसी
स्वामी कमलानंद गिरि ने श्श्रद्धालुएं की कार्तिक महात्म्य की कथा सुनाई।
संवाद सूत्र, श्री मुक्तसर साहिब
स्वामी कमलानंद गिरि ने कार्तिक महात्म्य सुनाते हुए कहा कि आध्यात्मिक ऊर्जा एवं शारीरिक शक्ति संग्रह करने में कार्तिक माह का विशेष महत्व है। इस माह में सूर्य एवं चंद्र किरणों का पृथ्वी पर पड़ने वाला प्रभाव मनुष्य के मन मस्तिष्क को स्वस्थ रखता है। शास्त्रों में कार्तिक स्नान और महात्म्य कथा श्रवण पर विशेष जोर दिया गया है। इस माह राधा-दामोदर पूजन, शालिग्राम पूजन, विष्णु पूजा एवं तुलसी पूजा से साधक का कल्याण होता है। स्वामी कमलानंद गिरि जी ने ये विचार श्री राम भवन में चल रहे वार्षिक कार्तिक महोत्सव के दौरान शुक्रवार को श्रद्धालुओं के विशाल जनसमूह के समक्ष प्रवचनों की अमृतवर्षा करते हुए व्यक्त किए। स्वामी जी ने कहा कि कार्तिक माह को रोग विनाशक कहा गया है। इस माह कार्तिक महाम्त्य श्रवण करना समृद्धि प्रदान करने, लक्ष्मी प्राप्ति व मुक्ति प्राप्त करने में सहायक बताया गया है। इस माह में दीपदान का तो महत्व है ही, वहीं तुलसी आराधना, भगवान विष्णु आराधना, हरि संकीर्तन का बेहद लाभ मिलता है। एक और आयुर्वेद में तुलसी को रोगहर कहा गया है तो दूसरी ओर तुलसी यमदूतों के भय से मुक्ति प्रदान करती है। स्वामी कमलानंद जी ने कहा कि कार्तिक मास में तुलसी की वेदी के पास कार्तिक महात्म्य सुनने से परिवार में सुख शांति रहती है। तुलसी दल या मंजरी से भगवान का पूजन करने से अनन्त लाभ मिलता है। कार्तिक व्रत में तुलसीरोपण का विशेष महत्व है। भगवती तुलसी विष्णुप्रिया कहलाती हैं। तुलसी पूजा करने वाले भक्त पर भगवान विष्णु जल्दी प्रसन्न होते हैं। कार्तिक में हरि संकीर्तन मुख्य रूप से किया जाता है। स्वामी जी ने श्रद्धालुओं को नित्य प्रतिदिन भगवान सूर्य नारायण को अर्घ्य देने की बात पर जोर देते हुए कहा कि भगवान सूर्यदेव को अर्घ्य देने से तेज बढ़ता है। जो भक्त रोजाना सूर्यदेव को अर्घ्य देते हैं, उनकी आंखों की रोशनी भी तेज रहती है। ऐसे साधक को कभी ऐनक नहीं लगानी पड़ती। इस माह सूर्य देव व तुलसी को जल जरूर चढ़ाएं। जहां सूर्य देव को अर्घ्य देने से आंखों की रोशनी बढ़ती है, वहीं तुलसी के पत्ते का सेवन करने से शरीर निरोग रहता है।