कार्तिक मास में तुलसी पूजन, गीता पाठ एवं गायत्री मंत्र जाप का विशेष महत्व
स्वामी कमलानंद गिरि ने श्श्रद्धआलुओं को कार्तिक महात्म्य सुनाई।
संवाद सूत्र, श्री मुक्तसर साहिब
स्वामी कमलानंद गिरि ने कार्तिक महात्म्य सुनाते हुए कहा कि ब्रह्मा जी ने नारद जी को, नारद जी ने पृथु नाम के राजा को और नारद जी ने ही वेदव्यास जी को, वेदव्यास जी ने सूत जी को तथा सूत जी ने नैमिशारण्य जैसे पावन पवित्र तीर्थ में सौनकादि ऋषियों को कार्तिक की कथा सुनाई थी। कार्तिक के महीने में दीपदान, तुलसी जी की पूजा, गीता जी का पाठ, गायत्री मंत्र का जाप, गंगा जी का स्नान एवं बिहारी जी के दर्शन यह सभी बराबर फल देने वाले हैं। स्वामी कमलानंद गिरि ने ये विचार श्री राम भवन में चल रहे वार्षिक कार्तिक महोत्सव के दूसरे दिन बुधवार को श्रद्धालुओं के विशाल जनसमूह के समक्ष प्रवचनों की अमृतवर्षा करते हुए व्यक्त किए।
स्वामी जी ने कहा कि इस माह अगर कहीं तीर्थ स्नान को न भी जा सको तो घर पर ही नहाते समय तीर्थों की पावन नदियों का स्मरण करते हुए स्नान करने से उस तीर्थ नदी में स्नान का पुण्य मिल जाता है। स्वामी कमलानंद ने कहा कि कार्तिक मास इसलिए श्रेष्ठ है क्योंकि इस मास में किए गए सभी धार्मिक कार्य कल्याणकारी, सुखदाई और मोक्ष प्रदान करने वाले होते हैं। कार्तिक में सभी को भगवान के प्रति अटूट विश्वास रखकर नियम अपनाने चाहिए। श्री राम भवन में स्वामी ने शाम के सत्संग दौरान नवरात्र में श्री रामायण पाठ करने वाली महिलाओं को उपहार भेंटकर सम्मानित किया।
श्री राम भवन में नवरात्र दौरान 61 महिला श्रद्धालुओं ने श्री रामायण पाठ किए थे। प्रवचनों की अमृतवर्षा करते हुए स्वामी ने श्रद्धालुओं को श्री राम चंद्र एवं वीर बजरंग बली की महिमा सुनाई। साथ ही भजन गंगा में डुबकियां भी लगवाईं। मंच संचालन करते हुए प्रवक्ता रमन जैन ने श्रद्धालुओं से सुबह पांच से सात बजे तक हो रही कार्तिक महोत्सव कथा में बढ़-चढ़कर शामिल होने की अपील की। मंदिर प्रांगण श्री राम चंद्र एवं वीर बजरंगी के रंग में रंगा नजर आ रहा था।