नवरात्र में अष्टमी का विशेष महत्व

नवरात्र में यूं तो नौ दिन मां की पूजा व आराधना की जाती है लेकिन इसमें अष्टमी का विशेष महत्व है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 19 Apr 2021 10:10 PM (IST) Updated:Mon, 19 Apr 2021 10:10 PM (IST)
नवरात्र में अष्टमी का विशेष महत्व
नवरात्र में अष्टमी का विशेष महत्व

संवाद सूत्र, श्री मुक्तसर साहिब

नवरात्र में यूं तो नौ दिनों ही मां की पूजा व आराधना करने का विधान है, मगर अष्टमी का विशेष महत्व होता है, क्योंकि अष्टमी को मां के आठवें स्वरुप महागौरी की पूजा व आराधना होती है।

गांधी नगर में आयोजित नौ दिवसीय नवरात्र उत्सव के दौरान प्रवचन करते हुए श्री सनातन धर्म प्रचारक पंडित पूरन चंद्र जोशी ने बताया कि मां गौरी का वाहन बैल है और उनका शस्त्र त्रिशूल है। महागौरी कठिन तपस्या कर गौरवर्ण को प्राप्त कर भगवती महागौरी के नाम से प्रसिद्ध हुई हैं। भगवती महागौरी की आराधना से मनवांछित कामनाओं की पूर्ति होती है। महागौरी का पूजन करने से शरीर में उत्पन्न विष व्याधियों का अंत होता है वहीं घर में सुख-स्मृद्धि व शरीर में अरोग्यता आती है। नवरात्र में अष्टमी का व्रत खास होता है। मान्यता है कि इस दिन निर्जला व्रत रखने से बच्चा दीर्घायु होता है। सुहागिन महिलाएं अचल सुहाग की कामना को लेकर मां गौरी को चढ़ाए लाल चुनरी अष्टमी के दिन सुहागिन महिलाएं अपने अचल सुहाग के लिए मां गौरी को लाल चुनरी जरुर चढ़ाएं।

अष्टमी के दिन महागौरी की पूजा के साथ-साथ कुल देवी, मां काली, दक्षिण काली, भद्रकाली, महाकाली की भी पूजा करने का विधान है। माता महागौरी अन्नपूर्णा का रुप हैं। इसलिए इस दिन मां अन्नपूर्णा की भी पूजा करनी चाहिए। अष्टमी के दिन कन्यापूजन का विधान वर्षों से चला आ रहा है। मंगलवार को कन्या पूजन होगा। श्रद्धालु कन्या पूजन कर कन्या रुपी माताओं से आशीर्वाद प्राप्त करेंगे और नवरात्र शुभारंभ से चल रहे अपने व्रत खोलेंगे। ज्यादातर मंदिरों में इस बार श्री रामायण पाठ नहीं रखे गए हैं। सिर्फ मंदिरों में सुबह-शाम माता का पूजन हो रहा है। जबकि जिन मंदिरों में श्री रामायण पाठ रखे गए हैं, वहां नवमी वाले दिन पाठ संपन्न होंगे तथा श्री रामायण पाठ करने वाली महिलाओं व युवतियों को उपहार भेंट कर सम्मानित किया जाएगा।

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