बच्चों को शहीद सुखदेव की जीवनी बताई

देश भगत ग्लोबल स्कूल के प्रिसिपल संजीव जिदल ने सुखदेव सिंह के बाने में बच्चों को बताया।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 15 May 2021 03:49 PM (IST) Updated:Sat, 15 May 2021 03:49 PM (IST)
बच्चों को शहीद सुखदेव की जीवनी बताई
बच्चों को शहीद सुखदेव की जीवनी बताई

संवाद सहयोगी, श्री मुक्तसर साहिब

देश भगत ग्लोबल स्कूल के प्रिसिपल संजीव जिदल ने सुखदेव सिंह के जन्म दिवस पर बच्चों को उनके जीवन के बारे में बताया।

प्रिसिपल संजीव जिदल ने कहा कि सुखदेव सिंह का पूरा नाम सुखदेव थापर था। सुखदेव थापर का जन्म 15 मई 1907 को पंजाब के लाइलपुर शहर में राम लाल थापर तथा रली देवी के घर हुआ था। जन्म से तीन माह बाद उनके पिता की मौत कारण, उनका पालन पोषण उनके ताया द्वारा किया गया। सुखदेव को 23 मार्च 1931 को भगत सिंह तथा राजगुरु के साथ फांसी दी गई थी। सुखदेव तथा भगत सिंह दोनों लाहौर नेशनल कालेज के विद्यार्थी थे। अजीब बात यह है कि यह दोनों उस वर्ष लायलपुर में पैदा हुए थे तथा इकट्ठे शहीद हुए थे। प्रिसिपल संजीव जिदल ने बताया कि भगत सिंह कामरेड रामचंद्र तथा भगवती चरण बोहरा के साथ सुखदेव ने लाहौर में नौजवान भारत सभा बनाई।

कहा कि सुखदेव ने 1929 में जेल में बंद भारतीय कैदियों के साथ किए गए अपमान तथा अभद्र व्यवहार के खिलाफ भी अपनी आवाज बुलंद की थी। 23 वर्ष की उम्र में वह शहीद हुए थे। प्रिसिपल संजीव जिदल ने बताया कि इतनी छोटी उम्र में उन्होंने सांडर्स को मारने में भगत सिंह तथा राजगुरु का पूरा समर्थन दिया। गांधी-इरविन समझौते के प्रसंग में, उन्होंने अंग्रेजी में गांधी के नाम पर एक खुला पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने महात्मा को कुछ गंभीर प्रश्न पूछे। उसका जवाब यह था कि निर्धारित तिथि तथा समय से पहले जेल मैनुअल के नियमों की अनदेखी करके 23 मार्च 1931 को शाम सात बजे सुखदेव, राजगुरु तथा भगत सिंह को लाहौर केंद्रीय जेल में फांसदी दी गई। इसी तरह भगत सिंह तथा राजगुरु के साथ सुखदेव को भी, सिर्फ 23 वर्ष की उम्र में शहीद कर दिया गया थ। प्रिसिपल संजीव जिदल ने बच्चों को इस महान हस्ती के बजाए हुए नक्शे कदम पर चलने के लिए संदेश दिया।

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