अस्थियों को जल प्रवाह करने के स्थान पर पुख्ता प्रबंध हो
मौत एक सच्चाई है चाहे कोई धर्म हो इसको टाल नहीं सकता है।
संवाद सूत्र, मलोट (श्री मुक्तसर साहिब)
मौत एक सच्चाई है, चाहे कोई धर्म हो इसको टाल नहीं सकता। सभी धर्मों के लोग मृत देह को बनता सत्कार देने की शिक्षा प्रदान करते हैं। इन ही रस्मों को स्वीकृत करते हुए हिदू और सिख भाईचारों के लोग अंतिम संस्कार के बाद मृतक की असथियों को किसी धार्मिक जगह पर बहते जल में प्रवाह करने की परंपरा है।
इलाके के लोग हरिद्वार या ब्यास में अस्थियों का जल परवाह करते हैं व सिख भाईचारे की तरफ से यह रस्म कीरतपुर साहिब या हरीकेपत्तन में निभाई जाती है। पिछले लाकडाऊन के समय में सफर पर लगी पाबंदी के कारण यह रस्म गांव थेहडी साहिब के नजदीक बड़ी नहरों में अस्थियां जल प्रवाह करने का रुझान हो गया।
नहरों में अस्थियां जल परवाह करने वाली जगह पर बिना किसी बैरीकेड के पानी का तेज बहाव होने के कारण किसी समय पर भी कोई हादसा होने का खतरा बना रहता है। उस जगह पर कोई शेड, पीने वाले पानी का कोई प्रंबंध नहीं है। मृतक के अंतिम रस्म पूरी करने आए हुए रिश्तेदार हर समय पर खतरा बर्दाश्त करते यह रस्म पूरी करते हैं। सीवरेज बोर्ड के इंजीनियर और भारत विकास परिषद की तरफ से सांझे उपरालो के साथ एक छोटे से शेड और बेरीकेड का श्लाघायोग्य उपराला किया। जरूरत है सुरक्षा का इंतजाम, बैठने के इंतजाम और पीने वाले पानी का प्रंबंध शिरोमणि गुरुद्वारा समिति, प्रशासन जिला श्री मुक्तसर साहिब, शहरों के विधायक सब कुछ जानते हुए भी बेखबर हैं।
सहारा सेवा, भारत विकास परिषद, श्री कृष्णा सेवादल, प्रेस क्लब आदि अलग अलग धार्मिक व समाजिक जत्थेबंदियों ने सरकार से मांग की है कि इस स्थान पर अस्थियों को जल प्रवाह करने के लिए पुख्ता प्रंबंध किए जाएं।