नर्वस सिस्टम को प्रभावित करता है रेबीज वायरस
सिविल सर्जन डा. रंजू सिगला के अनुसार सीएचसी चक्क शेरेवाला में रेबीज दिवस मनाया
संवाद सूत्र, श्री मुक्तसर साहिब
सिविल सर्जन डा. रंजू सिगला के अनुसार सीएचसी चक्क शेरेवाला के एसएमओ डा. सुनील कुमार बांसल की अगुआई में रेबीज और इसकी रोकथाम के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए जिला स्तरीय विश्व रेबीज दिवस सीएचसी में मनाया गया। इसमें सर्जन ने शिरकत की।
डा. बांसल ने बताया कि प्रतिवर्ष 28 सितंबर को विश्व रेबीज दिवस के रूप में मनाया जाता है जिसका उद्देश्य बीमारी के बारे में ज्ञान को बढ़ाना है। उन्होंने बताया कि रेबीज एक जूनोटिक बीमारी है जो जानवरों से इंसानों में फैलती है जो रेबीज वायरस की वजह से होती है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, भारत में हर साल तकरीबन 20 हजार मौतें रेबीज से होती हैं। रेबीज ने पिछले पांच वर्षों में भारत में कोविड 19 से ज्यादा लोगों की जान ली है। सिविल सर्जन डा. रंजू सिगला ने बताया कि पहली बार विश्व रेबीज दिवस 28 सितंबर 2007 को मनाया गया था। ये दिन रेबीज जैसी प्रतिकूल स्थिति से निपटने के लिए जानवरों की बेहतर देखभाल और ज्ञान फैलाने पर केंद्रित है। इसका उद्देश्य वर्ष 2030 तक इस बीमारी से होने वाली मौतों को खत्म करना है। उन्होंने कहा कि विश्व रेबीज दिवस के लिए इस वर्ष का विषय है रेबीज तथ्य, डर नहीं जो कि लोगों से डर को खत्म करने और उन्हें तथ्यों के साथ सशक्त बनाने पर आधारित है। इस वर्ष की थीम रेबीज के बारे में तथ्यों को साझा करने पर केंद्रित है, न कि बीमारी के बारे में डर फैलाने पर। रेबीज एक ऐसा वायरल इंफेक्शन है, जो आमतौर पर संक्रमित जानवरों के काटने से फैलता है। कुत्ते, बिल्ली, बंदर आदि कई जानवरों के काटने से इस बीमारी के वायरस व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। रेबीज का वायरस कई बार पालतू जानवर के चाटने या खून का जानवर के लार से सीधे संपर्क में आने से भी फैल जाता है। रेबीज एक जानलेवा रोग है जिसके लक्षण बहुत देर में नजर आते हैं। अगर समय रहते इसका इलाज न किया जाए, तो यह रोग जानलेवा साबित हो जाता है। उन्होंने कहा कि रेबीज वायरस व्यक्ति के नर्वस सिस्टम में पहुंचकर दिमाग में सूजन पैदा करते हैं जिसकी वजह से व्यक्ति या तो जल्द कोमा में चला जाता है या उसकी मौत हो जाती है। जिला मास मीडिया अधिकारी सुखमंदर सिंह ने कहा कि जानवर के काटने या खरोचने से जखम होने पर इस अनदेखा ना करें और तुरंत डाक्टर से संपर्क करें। उन्होंने कहा कि रेबीज के इलाज के लिए सिविल अस्पतालों में टीके मुफ्त लगाए जाए हैं।