धू-धू कर जले बुराइयों के प्रतीक

बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक विजयदशमी का त्योहार धूमधाम से मनाया।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 15 Oct 2021 07:05 PM (IST) Updated:Fri, 15 Oct 2021 07:05 PM (IST)
धू-धू कर जले बुराइयों के प्रतीक
धू-धू कर जले बुराइयों के प्रतीक

संवाद सूत्र, श्री मुक्तसर साहिब

बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक विजयदशमी का त्योहार धूमधाम व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। श्री राम सेवा समिति ने मुक्तसर में विजयदशमी उत्सव का आयोजन किया। सरकारी कालेज के स्टेडियम में देर शाम बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक रावण, कुंभकर्ण व मेघनाद के पुतले धू-धू कर जल उठे। इस मौके बड़ी संख्या में शहर के लोग मौजूद थे।

कोरोना के चलते भीड़ के एकत्र होने पर पाबंदी के कारण पिछले वर्ष शहर में दशहरा उत्सव नहीं आयोजित हो सका था मगर इस बार दशहरा उत्सव धूमधाम से मनाया गया। बूड़ा गुज्जर रोड पर लायंस भवन में रावण, कुंभकर्ण व मेघनाद के पुतले तैयार किए जा रहे थे जिन्हें दशहरा उत्सव स्थल पर वीरवार देर रात तक खड़ा कर दिया गया था। शुक्रवार शाम करीब छह बजे मुख्य मेहमान एडीसी राजदीप कौर, एसडीएम स्वर्णजीत कौर, एसपी कुलवंत राय ने संयुक्त रुप से बटन दबाकर इनको अग्निभेंट किया। दशहरा उत्सव मौके झांकियां भी आकर्षण का केंद्र रहीं।

इस अवसर पर डा. मदन मोहन बांसल के पुत्र मनहर बांसल को विशेष तौर पर सम्मानित किया गया जिन्होंने गत दिवस नीट परीक्षा में भारत में पहला स्थान हासिल किया था। मंच संचालन संजीव खेड़ा व शिक्षक जसपाल ने किया।

इस मौके राज बलविदर मराड़, पंजाब प्रदेश कांग्रेस के महा सचिव जगजीत सिंह हनी फत्तणवाला, नगर कौंसिल अध्यक्ष कृष्ण कुमार शम्मी तेरिया, आप आदमी पार्टी के हलका अध्यक्ष जगदीप सिंह काका बराड़, समिति के सेवादार रमन गिरधर, संजीव खेड़ा, सुरिदर धवन, गौरव अरोड़ा, संजीव गुप्ता, भारत भूषण गर्ग, सुशील गर्ग, अश्वनी गुंबर, हैप्पी गर्ग, बोबी गावड़ी व बड़ी गिनती में शहर के गणमान्य लोग मौजूद थे। इनसेट

वाल्मीकि समाज ने की रावण की पूजा

वाल्मीक समाज की ओर से विजयदशमी को बलिदान दिवस के रुप में मनाते हुए रावण की पूजा की गई। रावण की तस्वीर को माल्यार्पण कर व पुष्प भेंट कर रावण के प्रति श्रद्धा प्रकट की गई। आसमान जय लंकेश तथा महात्मा रावण की जय जयकार के जयकारे गूंज उठे। अशोक उज्जीनवाल सोनू ने कहा कि वाल्मीक समाज पिछल कई वर्षों से विजयदशमी पर्व को बलिदान दिवस के रुप में मनाता है और हर वर्ष इस दिन रावण की पूजा होती है। देश में भले ही विजयदशमी पर रावण, कुंभकर्ण व मेघनाद के पुतले फूंके जाते हैं, मगर वे लोग रावण का सम्मान करते हैं।

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