श्रवण, कीर्तन और मनन प्रभु प्राप्ति के साधन : स्वामी कमलानंद
संवाद सूत्र, श्री मुक्तसर साहिब : स्वामी कमलानंद गिरि जी ने श्रीमद्भागवत गीता प्रवचन करते हुए कहा कि भक्त को प्रभु पर हमेशा विश्वास बनाए रखना चाहिए, जो भक्त भगवान पर सदैव विश्वास बनाए रखता है, भगवान उसकी हर पल रक्षा करते हैं।
संवाद सूत्र, श्री मुक्तसर साहिब : स्वामी कमलानंद गिरि जी ने श्रीमद्भागवत गीता प्रवचन करते हुए कहा कि भक्त को प्रभु पर हमेशा विश्वास बनाए रखना चाहिए, जो भक्त भगवान पर सदैव विश्वास बनाए रखता है, भगवान उसकी हर पल रक्षा करते हैं। जिसको प्रभु भक्ति पर विश्वास नहीं होता, ऐसा मनुष्य सदा दु:ख व तकलीफों से घिरा रहता है। स्वामी कमलानंद गिरि श्री राम भवन में आयोजित दस दिवसीय श्रीमद्भागवत गीता प्रवचन कार्यक्रम के समापन समारोह में श्रद्धालुओं प्रवचन दे रहे थे। उन्होंने कहा कि सच्चे मन से आंसू बहाने वाले मनुष्य के सभी पाप मिट जाते हैं, इसलिए अगर गलती से भी कोई पाप हो गया हो तो सच्चे मन से उसका पश्चाताप करो तो वह पाप नष्ट हो जाएंगे। मनुष्य को मृत्यु को हमेशा याद रखना चाहिए, क्योंकि जिस व्यक्ति को मृत्यु याद रहेगी उसे भगवान भी याद रहेंगे। अगर मृत्यु का भय ही समाप्त हो जाएगा तो व्यक्ति को भगवान याद नहीं रहते, इसलिए सदैव मृत्यु को याद रखो। स्वामी जी ने कहा कि श्रवण, कीर्तन और मनन प्रभु प्राप्ति के महा साधन हैं। कलियुग में परमात्मा को पाने के तीन यही महा साधन हैं। पहला कानों के द्वारा भगवान के गुणों और लीलाओं का श्रवण करना, दूसरा वाणी द्वारा सदा प्रभु नाम का जाप करना और तीसरा मन के द्वारा उन्हीं के स्वरूप का मनन करना। यदि व्यक्ति सदा यह तीन साधन करता रहे तो उसे शीघ्र ही परम तत्व का बोध हो सकता है। श्रीमद्भागवत संपन्न होने पर भागवत गीता को रुमाला ओढ़ाने की रस्म अदा हुई। यह रस्म सुनील बांसल व रीतू बांसल परिवार की ओर से अदा करवाई गई। साथ ही समापन समारोह मौके का प्रसाद भी बांसल परिवार की ओर से ही वितरित हुआ। इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।