फतेह किटों की कमी के कारण उठानी पड़ रही परेशानी

जिले में लगातार कोविड़ मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी होने से फतेह किटों की कमी आ गई है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 06 May 2021 04:47 PM (IST) Updated:Fri, 07 May 2021 01:00 AM (IST)
फतेह किटों की कमी के कारण उठानी पड़ रही परेशानी
फतेह किटों की कमी के कारण उठानी पड़ रही परेशानी

रोहित कुमार, श्री मुक्तसर साहिब :

जिले में लगातार कोविड़ मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी के अब सेहत विभाग की सेवाएं भी नाकाफी होने लगी हैं। क्योंकि कोरोना मरीजों के लिए सरकार द्वारा जो फतेह किट दी जा रही थी। वह अब मरीजों को न के बराबर ही दी जा रही है। जो किटें मरीजों की दी जा रही हैं, उनमें पूरा सामान भी नहीं है। जिस कारण मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जो किटें मरीजों को उपलब्ध करवाई जा रही हैं उसमें से आक्सीमीटर गायब है। जिससे की मरीज की आक्सीजन का लेवल चेक किया जाता है, जो कि बहुत ही ज्यादा जरूरी है। इस बारे में जानकारी देते हुए डा. वकील भट्टी ने बताया कि फतेह किटों की बहुत ही ज्यादा किल्लत है। सैंपलिंग ज्यादा होने के कारण लगातार मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है। जिसकी एवज में किटों की उपलब्धता बहुत ही कम है। इस बारे में उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री को भी लिखकर दिया है। उनके पास मंगलवार को 42 किटें आई थी। उनमें स्टीमर, थर्मामीटर तथा दवाइयां तो हैं, आक्सीमीटर नहीं है। उन्होंने बताया कि कोविड के मरीजों द्वारा लगातार किटों की मांग की जा रही है। डा. भट्टी ने बताया कि आक्सीमीटर की बाजार में कीमत आठ सौ से 1000 रुपये है। कीमत ज्यादा होने के कारण वह अपनी जेब में से भी आक्सीमीटर लेकर नहीं डाल सकते हैं। इसके लिए पहले एसडीएम की तरफ से भी लोगों को कहा गया था कि जिन्हें बीते वर्ष कोविड हुआ था वह आक्सीमीटर दे दें मगर किसी ने भी आक्सीमीटर नहीं दिया है। जिस कारण उनके पास आक्सीमीटर नहीं है। उन्होंने बताया कि आशा वर्करों द्वारा मरीजों की रिपोर्ट को एमडी डाक्टरों को दिया जाता है। जिसके बाद डाक्टर जिस किसी को भी किट देने के लिए कहते हैं उसे भी किट उपलब्ध करवाई जा रही है।

अस्पताल का स्टाफ तैयार कर रहा किटे

डॉ. भट्टी ने कहा कि फतेह किटों की कमी के चलते अब अस्पताल के स्टाफ द्वारा किटे तैयारी करवाई जा रही हैं। जिसमें की मरीजों के लिए जरूरी दवाएं होती हैं। जो आशा वर्करों द्वारा कोविड़ के मरीजों तक पहुंचाई जाती है। मगर मरीजों द्वारा लगातार फतेह किटों की मांग की जा रही है।

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