जनसंघ के संस्थापक ने डा. आंबेडकर को संविधान कमेटी का सदस्य बनवाया था : सांपला

। राष्ट्रीय अनुसूचित जाति के चेयरमैन विजय सांपला ने रहस्योद्घाटन किया है कि संविधान शिल्पी डा.भीम राम आंबेडकर को संविधान सभा का अध्यक्ष बनाने में जनसंघ के संस्थापक डा.श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 07 Dec 2021 10:35 PM (IST) Updated:Tue, 07 Dec 2021 10:35 PM (IST)
जनसंघ के संस्थापक ने डा. आंबेडकर को 
संविधान कमेटी का सदस्य बनवाया था : सांपला
जनसंघ के संस्थापक ने डा. आंबेडकर को संविधान कमेटी का सदस्य बनवाया था : सांपला

जागरण संवाददाता.मोगा

राष्ट्रीय अनुसूचित जाति के चेयरमैन विजय सांपला ने रहस्योद्घाटन किया है कि संविधान शिल्पी डा.भीम राम आंबेडकर को संविधान सभा का अध्यक्ष बनाने में जनसंघ के संस्थापक डा.श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। आजाद भारत में जब डा.आंबेडकर ने लोकसभा का पहला चुनाव लड़ा था तो उनके चुनाव संचालक संघ के बड़े अधिकारी दत्तोपंत ठेंगड़ी थे। अनुयायी बताने वालों ने कद कम किया

राष्ट्रीय चेयरमैन सोमवार की देर शाम को शहीदी पार्क में सेवा भारती की ओर से बाबा साहेब के परिनिर्वाण दिवस के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे। विजय सांपला ने कहा कि जो लोग आज के दौर में खुद को डा. आंबेडकर का बड़ा अनुयायी बताते हैं, सही मायने में वे बाबा साहेब को जानते ही नहीं है। उन्होंने संविधान शिल्पी तक उन्हें सीमित कर दिया है। डा.आंबेडकर सिर्फ संविधान शिल्पी ही नहीं थे। वे बड़े अर्थशास्त्री भी थे। बैंक सरकारी हो, ये सोच डा.भीमराव की ही था, रिजर्व बैंक की स्थापना उन्हीं की सोच के आधार पर हुई। वे चाहते थे कि सरकारी डैम बनें। वे सिर्फ संविधान बनाने तक सीमित नही थे, भारत की सामाजिक, राजनैतिक और आर्थिक उन्नति कैसे हो, इसके लिए उन्होंने पूरा जीवन लगा दिया। भाजपा को छोड़ देश की सभी पार्टियां समान नागरिक संहिता (कामन सिविल कोड) का विरोध करती हैं, जबकि डा.आंबेडकर समान नागरिक संहिता के पक्षधर थे। सीएए का विरोध करने वाले बाबा साहेब को नहीं जानते

सिटीजन एमेंडमेंट एक्ट (सीएए) के विरोध में जो लोग बाबा साहेब का चित्र लेकर सड़कों पर उतरे थे, उन्हें तो मालूम ही नहीं, उनका ये विरोध डा.अंबेडकर की सोच से तो मिलती ही नहीं है। खुद को आंबेडकर का अनुयायी कहने वालों को पहले बाबा साहेब के जीवन दर्शन व उनकी सोच को समझना चाहिए। राष्ट्रीय चेयरमैन विजय सांपला जब डा.भीमराव आंबेडकर के जीवन दर्शन के गूढ़ रहस्यों को उजागर कर रहे थे, तब समारोह स्थल पर बड़ी संख्या में बैठे नौजवान, युवा, शहर के चिकित्सक और व्यवसायी खुद अचंभित महसूस कर रहे थे।

बुराईयां दूर करने के लिए छोड़ा धर्म

समारोह की अध्यक्षता कर रहे हरियावल पंजाब के प्रांत संयोजक रामगोपाल ने कहा कि बाबा साहेब ने हिदू धर्म समाज में व्याप्त बुराईयों को दूर करने के लिए धर्म छोड़ा। हिदू धर्म को छोड़ने की घोषणा करने के 32 साल बाद उन्होंने बौद्ध धर्म स्वीकार किया। बौद्ध धर्म भारत में पैदा हुआ धर्म है, ये सोचकर बाबा साहेब ने बौद्ध धर्म को स्वीकार किया कि इस धर्म को अपनाने वाले लोग भारत की चिता करेंगे। जिस समय बाबा साहेब ने समाज में व्याप्त छुआछूत से परेशान होकर हिदू धर्म छोड़ने की घोषणा की थी, उसके बाद उन पर मुस्लिम व क्रिश्चियन समाज का दबाव बना कि उनके धर्मों को अपना लें लेकिन डा.भीमराव के दिल में तो सिर्फ भारत बसता था वे सिर्फ भारत के हित के लिए भारतीयों के हित के लिए सोचते थे, उन्होंने सिर्फ भारत के धर्म को स्वीकार किया। वह भी समाज में छुआछूत को दूर करने की प्रेरणा देने उसे खत्म करने के लिए। सोच से देश है गायब

हरियावल पंजाब के प्रभारी ने कहा कि आज देश का सबसे बड़ा संकट यही है कि शीर्ष पर बैठे लोगों के दिल में हिदुस्तान नहीं बसता है, वे निजी हित में फैसला लेते हैं। भारत के हित में समाज के हित में, भारत के लोगों के हित में नहीं सोचते हैं, इसी सोच को बदलना है, जिस दिन सोच में देश होगा, उस दिन कोई भी व्यक्ति खुद को बाबा साहेब का सही मायने में अनुयायी कह सकता है।

इस समारोह में विशेष अतिथि सेवानिवृत्त एक्सईएन बख्शीस सिंह, व्यवसायी परमजीत गर्ग रहे। इस मौके पर सेवा भारती के प्रमुख नवीन पुरी, सत्यसांई मुरलीधर आयुर्वेदिक कालेज के प्रिसिपल़ डा.पीसी सिगला,डा.मुकेश कोछर, विशाल लूंबा, कुलवंत सिंह राजपूत, विजय कौशिक, अनीश बंसल, राजिदर लकी आदि मौजूद थे।

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