मंत्रिमंडल में एंट्री दिलाने को डा.हरजोत के लिए काम कर रहीं 'तीन पावर'

। सूबे में नए मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के शपथ ग्रहण के बाद मंत्रिमंडल में जगह पाने के लिए अब जिले में के विधायकों ने जी तोड़ प्रयास शुरू कर दिए हैं।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 20 Sep 2021 09:59 PM (IST) Updated:Mon, 20 Sep 2021 09:59 PM (IST)
मंत्रिमंडल में एंट्री दिलाने को डा.हरजोत के 
लिए काम कर रहीं 'तीन पावर'
मंत्रिमंडल में एंट्री दिलाने को डा.हरजोत के लिए काम कर रहीं 'तीन पावर'

सत्येन ओझा.मोगा

सूबे में नए मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के शपथ ग्रहण के बाद मंत्रिमंडल में जगह पाने के लिए अब जिले में के विधायकों ने जी तोड़ प्रयास शुरू कर दिए हैं। शहर के विधायक डा.हरजोत कमल तीन दिन से ही चंडीगढ़ में डेरा डाले हुए हैं। हालांकि मंत्रिमंडल में उन्हें जगह दिलाने के लिए उनके राजनीतिक गुरु फतेहगढ़ साहिब से एमएलए कुलजीत सिंह नागरा पूरे प्रयास से लगे हुए हैं। डा.हरजोत कमल पहले से ही कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू गुट के करीबी माने जाते रहे हैं।

मोगा जिले में चार विधानसभा सीटें हैं, जिनमें से तीन पर कांग्रेस का कब्जा है, निहालसिंह वाला से आम आदमी पार्टी के विधायक मंजीत सिंह बिलासपुर हैं। बाघापुराना विधानसभा सीट से कांग्रेस के विधायक दर्शन सिंह बराड़ हाल ही में वन विभाग की जगह में चल रहे क्रैशर के मामले में विवादों में घिरे हुए हैं। हालांकि दर्शन सिंह बराड़ पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बनने के दौरान जब नवजोत सिंह सिद्धू व तत्कालीन सीएम कैप्टन अमरिदर सिंह के बीच तलवारें खिच गई थीं, उस समय दर्शन सिंह बराड़ हर कदम पर नवजोत सिंह सिद्धू के साथ खड़े हुए थे। सिद्धू भी उन दिनों में दर्शन सिंह बराड़ को बापू कहकर बुला रहे थे,लेकिन जिस तरह से दर्शन सिंह बराड़ वन विभाग की जमीन पर कब्जा कर क्रैशर चलाने के मामले में फंसे हैं, उसके बाद मंत्रिमंडल में शामिल होने के उनके प्रयास बेहद कमजोर हो चुके हैं,हालांकि जिले के तीनों विधायकों में दर्शन सिंह बराड़ सीनियर हैं। तत्कालीन सीएम कैप्टन अमरिदर सिंह के साथ दर्शन सिंह बराड़ के संबंध पहले ही दिन से अच्छे नहीं रहे थे। जहां तक धर्मकोट के विधायक सुखजीत सिंह काका लोहगढ़ का सवाल है तो हाल ही में उनके एक फैसले ने उन्हें बैकफुट पर ला दिया है। हालांकि अकाली दल से कांग्रेस में आकर वे पहली बार धर्मकोट क्षेत्र से निर्वाचित होकर विधानसभा में पहुंचे थे। कैप्टन अमरिदर सिंह व नवजोत सिंह सिद्धू के बीच जंग के दौरान शुरूआत में काका सिद्धू के साथ खड़े थे, लेकिन बाद में उन्होंने बाजी पलट दी थी और कैप्टन खेमे में चले गए थे। कैप्टन अमरिदर सिंह को हाईकमान ने सत्ता से बेदखल कर दिए जाने के बाद काका का मंत्रिमंडल में जाने का दावा कमजोर पड़ गया है।

उधर डा.हरजोत कमल के लिए सकारात्मक बात ये है कि कार्यकारी अध्यक्ष कुलजीत सिंह नागरा उस समय प्रदेश कांग्रेस में पहले से ज्यादा मजबूत हुए हैं। प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के साथ पहले से ही उनके संबंध अच्छे बताए जाते हैं। एक अन्य कार्यकारी अध्यक्ष टांडा के विधायक के साथ ही डा.हरजोत कमल के संबंध में करीबी बताए जा रहे हैं, ऐसे में हरजोत कमल के साथ तीन-तीन पावर हैं, जो उन्हें पावरफुल बनाने में जुटे हुए हैं, हालांकि अभी मंत्रिमंडल में शामिल होने जैसे संकेत नहीं मिले हैं, लेकिन उनके लिए प्रयास जी तोड़ किए जा रहे हैं।

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