तेज गति से किशोर दौड़ा रहा था ट्रक, हादसा होते-होते टला

। रेलवे रोड फाटक के निकट एक किशोर चालक के तेज गति से ट्रक दौड़ाते समय एक और हादसा होते-होते टल गया।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 29 Nov 2021 10:42 PM (IST) Updated:Mon, 29 Nov 2021 10:42 PM (IST)
तेज गति से किशोर दौड़ा रहा था 
ट्रक,  हादसा होते-होते टला
तेज गति से किशोर दौड़ा रहा था ट्रक, हादसा होते-होते टला

जागरण संवाददाता.मोगा

रेलवे रोड फाटक के निकट एक किशोर चालक के तेज गति से ट्रक दौड़ाते समय एक और हादसा होते-होते टल गया। बिना क्लीनर के तेज गति से ट्रक चला रहे किशोर ने अचानक फाटक के निकट पहुंचकर उसी गति में टाप गेयर में वाहन मोड़ने का प्रयास किया तो ट्रक असंतुलित होकर बंद हो गया। अगर ट्रक बंद न होता तो हादसा हो सकता है। इस दौरान फाटक पर तैनात पुलिस मुलाजिम चाय की चुस्कियां ले रहे थे, दैनिक जागरण ने किशोर चालक को वीडियो में कैद किया तो यूनियन के सदस्य दौड़ते हुए काफी संख्या में पहुंच गए। उन्होंने वीडियो बनाने का विरोध किया। पुलिस यूनियन नेताओं के आगे बेबस तमाशा देखती रही और यूनियन के लोग किशोर को लेकर चले गए। हैरानी की बात है कि ट्रक को बाद में वही किशोर अकेला चलाकर ले गया। 100 से 150 ट्रक दौड़ते हैं

गांधी रोड रेलवे फाटक शहर की घनी आबादी के बीच में आने के कारण गंभीर समस्या का कारण बन गया है। फाटक के निकट ही माल गोदाम होने के कारण जिस दिन मालगाड़ी लोड होती है, उस दिन 100-150 ट्रक गांधी रोड होते हुए फाटक के निकट माल गोदाम पर पहुंचते हैं। गांधी रोड पर शहर के दो बड़े स्कूल, शमशानघाट, दो गोशाला, जीएसटी भवन, अस्पताल आदि बड़े व्यवसायिक प्रतिष्ठान हैं। स्कूलों के कारण सैकड़ों बच्चे तेज गति से दौड़ते ट्रकों के बीच से ही निकलने को मजबूर होते हैं। पिछले साल 28 नवंबर को डीएन स्कूल की फिजिक्स की अध्यापिका गरिमा अग्रवाल की मौत के बाद शहर भर के लोगों ने गांधी रोड फाटक से गोदाम शिफ्ट करने की मांग को लेकर रास्ता बंद कर दिया, तब कुछ दिन तक प्रशासन हरकत में दिखा था, तत्कालीन डीसी संदीप हंस के हस्तक्षेप के बाद उस समय फाटक पर स्थायी रूप से पुलिस का नाका लगा दिया गया था। पुलिस के नाके लगाने के बाद दिन के समय कुछ देर तक ट्रैफिक को कंट्रोल करता एक निजी कारिदा जरूर दिखाई देता है। कम उम्र के बालक अकेले दौड़ाते हैं ट्रक

लेकिन खस्ताहाल ट्रकों को जिस प्रकार से छोटे-छोटे बालक तेज गति से दौड़ाते हैं,उससे हादसे की संभावना बनी रहती है। लोडिंग के बाद यहां पहुंचने वाले अधिकांश ट्रकों में चालक अकेला होता है, उसका सहयोगी होता ही नहीं है, जिस कारण हादसे की संभावना बनी रहती है। अध्यापिका गरिमा की मौत के बाद भी दो लोग इसी फाटक के निकट हादसे में जान गंवा चुके हैं। माल गोदाम के लिए रेलवे के पास अजितवाल में भी जगह है, डगरू फाटक के निकट भी जगह बनी हुई है लेकिन यहां के सांसद चुनाव जीतने के बाद मोगा लोगों की समस्याएं सुनने कभी पहुंचे ही नहीं, कांग्रेस पार्टी के कुछ कार्यक्रम में ही वे आते हैं, लोगों के साथ उनका कोई जुड़ाव नहीं रहा। पिछले दिनों मुख्यमंत्री के कार्यक्रम के दौरान जस्टिस फार गरिमा के सदस्यों ने ज्ञापन सौंपकर मोगा में गंभीर होती रेलवे फाटक की समस्या का मुद्दा संसद में उठाने की मांग की थी, सांसद मोहम्मद सदीक उस समय तो आश्वासन देकर चले गए। सांसद के करीबी लेकिन आज से शुरू हुए संसद के एजेंडे में न तो ये मामला शामिल कराया न ही संसद में इस संबंध में किसी प्रकार के प्रश्न पूछने के लिए उन्होंने कोई पत्र लिखा है।

इस संबंध में सांसद से बात की तो उन्होंने कहा कि पहले भी उन्होंने मोगा की समस्याओं को उठाने का प्रयास किया था लेकिन विरोधी पार्टी के होने के कारण उनकी बात कोई सुनता नहीं है। हादसे के बाद हुआ था सर्वे

सूत्रों का कहना है कि अध्यापिका गरिमा की हादसे के दौरान हुई मौत के बाद जिला प्रशासन के स्तर पर भी रेलवे के स्तर पर भी मौके का सर्वे हो चुका है, डगरू फाटक में पड़ी जगह का भी सर्वे हो गया था, लेकिन बात आगे नहीं बढ़ सकी है, उधर स्थानीय प्रशासन भी यहां ट्रक चालकों की मनमानी को लेकर गंभीर नहीं है, जिस कारण अक्सर हादसे की संभावना बनी रहती है।

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