अहंकार मनुष्य के विनाश का कारण बनता है : कुणाल शास्त्री
श्री सनातन धर्म प्राचीन शिव मंदिर में चल रही शिव पुराण की कथा में प्रवचन करते हुए शास्त्री कुणाल गरगेश ने बताया कि शिव कथा से अहंकार दूर होता है व क्षमा की भावना पैदा होती है। मन की मलिनता शिव कथा से धुल जाती है।
संवाद सहयोगी, मोगा : श्री सनातन धर्म प्राचीन शिव मंदिर में चल रही शिव पुराण की कथा में प्रवचन करते हुए शास्त्री कुणाल गरगेश ने बताया कि शिव कथा से अहंकार दूर होता है व क्षमा की भावना पैदा होती है। मन की मलिनता शिव कथा से धुल जाती है। अहंकार बड़े से बड़े प्राणी का भी विनाश कर देता है। पंडित ने कहा कि धन का अहंकार, उच्च पद, राज सत्ता, विद्या, बल किसी भी चीज का अहंकार प्राणी में आ जाए तो अहंकारी प्राणी को उचित-अनुचित का ज्ञान नहीं रहता। रावण को अपने बल व विद्या का अहंकार था, कंस व दुर्योधन को राज्य सत्ता का अहंकार था। इस कारण उनका विनाश व दुर्गति हुई। कथा वाचक पवन गौतम ने कहा कि एक समय प्रयाग राज में देवताओं ने यज्ञ किया, जिसमें ब्रह्मा, विष्णु, महेश व अन्य देवता विराजमान थे। प्रजापति दक्ष जब यज्ञ मंडल में पहुंचे तो ब्रह्मा, विष्णु, महेश के बिना सभी देवताओं ने दक्ष को नमस्कार किया। दक्ष ने भगवान शिव को साधारण देवता समझते हुए अहंकार में आकर उनका अपमान किया। दक्ष अपने उच्च पद के अहंकार में भगवान शिव को भी साधारण समझने लगा। अपनी निदा व अपमान देखकर भगवान शिव ने क्रोध नहीं किया। पंडित ने कहा कि शिव कथा से हमें क्षमा, त्याग, दया करने की प्रेरणा मिलती है। कथा उपरांत मन्दिर कमेटी की तरफ से देवेंद्र गुप्ता, अशोक बांसल व अन्य सदस्यों ने भक्तों सहित आरती में भाग लिया।