ईश्वर की शरण में रहने से बनें तनावमुक्त : सुनील शास्त्री

मोगा ईश्वर की शरण में रहने वाला व्यक्ति सदा उन्नतिशील तनाव मुक्त और आनंदित रहता है। यह बात देवी दास केवल कृष्ण चैरिटेबल ट्रस्ट में रविवार सायं हुए अध्यात्म सत्यार्थ सत्संग में सुनील शास्त्री ने सत्संगियों को प्रवचन में कही।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 26 Oct 2020 03:52 PM (IST) Updated:Mon, 26 Oct 2020 03:52 PM (IST)
ईश्वर की शरण में रहने से बनें तनावमुक्त : सुनील शास्त्री
ईश्वर की शरण में रहने से बनें तनावमुक्त : सुनील शास्त्री

संवाद सहयोगी, मोगा

ईश्वर की शरण में रहने वाला व्यक्ति सदा उन्नतिशील, तनाव मुक्त और आनंदित रहता है। यह बात देवी दास केवल कृष्ण चैरिटेबल ट्रस्ट में रविवार सायं हुए अध्यात्म सत्यार्थ सत्संग में सुनील शास्त्री ने सत्संगियों को प्रवचन में कही।

उन्होंने कहा कि मनुष्य अल्पशक्तिमान होने से अपने सारे कार्य स्वयं पूरे नहीं कर सकता। उसे अन्यों से बहुत सी सहायता लेनी पड़ती है। अनेक सांसारिक लोगों की सहायता से वह धीरे धीरे उन्नति करता है। सबसे पहले बचपन में उसे माता-पिता से सब प्रकार की सहायता मिलती है। भोजन, वस्त्र, निवास, खिलौने, नौकर-चाकर, प्रेम सुरक्षा तथा अन्य अनेक प्रकार के साधन उसे माता-पिता की कृपा और आशीर्वाद से मिलते हैं। जैसे-जैसे वह बड़ा होता जाता है वैसे-वैसे स्कूल, कालेज, गुरुकुल आदि में उसके गुरुजन विद्या आदि से उसकी सहायता करते हैं। पड़ोसी, मित्र, सहयोगी, सहपाठी भी उसकी बहुत प्रकार से सहायता करते हैं। धीरे-धीरे वह और बड़ा होता जाता है तथा जीवन में क्या करना चाहिए, कैसे करना चाहिए, के बारे में अनेक विद्वानों के मार्गदर्शन से सीखता जाता है। जितने लोग भी उसकी सहायता करते हैं। उन सब की सहायता सर्वव्यापक सर्वशक्तिमान आनंद स्वरूप परमात्मा करता है।

उन्होंने कहा कि परमात्मा उस व्यक्ति की भी सहायता करता है जो बचपन से उन्नति कर रहा है। जो व्यक्ति इन सब सहायकों की सहायता लेते हुए ईश्वर की शरण भी स्वीकार कर लेता है और ईश्वर को अपना सबसे बड़ा मार्गदर्शक, संरक्षक, गुरु, आचार्य, राजा और न्यायाधीश आदि के रूप में मानते हुए सब कार्य करता है, उसका बेड़ा पार हो जाता है। ऐसा व्यक्ति सदा उन्नतिशील रहता है। सदा प्रसन्न रहता है और चिताओं से मुक्त रहता है।

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