भक्तों की रक्षा व धर्म की स्थापना के लिए भगवान लेते हैं अवतार : राम सेवक शास्त्री
। महेश मुनि गोशाला में चल रही श्रीमद्भागवत ज्ञान सप्ताह में कथा वाचक राम सेवक शास्त्री ने कहा कि भगवान भक्तों की रक्षा के लिए अवतार लेते हैं।
संवाद सहयोगी,मोगा
महेश मुनि गोशाला में चल रही श्रीमद्भागवत ज्ञान सप्ताह में कथा वाचक राम सेवक शास्त्री ने कहा कि भगवान भक्तों की रक्षा के लिए अवतार लेते हैं। प्रभु बिना शरीर धारण किए इस सृष्टि को बनाते हैं, इसका पालन करते हैं और प्रलय करके समेट लेते हैं। भगवान भक्तों की इच्छा पूर्ण करने के लिए अवतार लेते हैं। भगवान ने अपने भक्तों के मन में एक इच्छा देखी। प्रभु ने यह मनुष्य शरीर सीढ़ी रूप साधन जीव को दिया है, सीढ़ी को सोपान या अवतरणिका कहा गया है। अब सीढ़ी से तो एक व्यक्ति चढ़ेगा, जो भगवान तक पहुंचेगा। वो भी जो ज्ञानी होगा।
उन्होंने कहा कि भक्तों के मन में
इच्छा हुई के भगवान यदि इस अवतरणिका से नीचे उतर आएं तो हम सभी एक साथ भगवान की कृपा के पात्र बन सकते हैं। तो भक्तों की इसी
इच्छा के वशीभूत होकर भगवान अवतरणिका से नीचे उतर आए और भक्तों की जैसी जैसी भावना थी वैसा रूप बना कर सबसे मिले। जाकी रही भावना जैसी.., प्रभु मूरत देखी तिन तैसी.., दोहे की महत्ता बताते राम सेवक ने बताया कि जिस भाव से व्यक्ति भगवान को देखता है, भगवान उसी रूप में दर्शन देते हैं। पवन गौड़ ने ब्रह्मा जी द्वारा सृष्टि निर्माण, हिरण्यकशप का वध जैसी कई कथाएं सुनाई। समागम में
संत नारायण पुरी ने आशीर्वाद दिया। कथा की समाप्ति पर भक्तों ने आरती
की। पंडित जयदेव शर्मा की अगुआई में गणपति पूजन, नवग्रह पूजन व कलश पूजन किया गया। इस अवसर पर पंडित जयदेव शर्मा,राज कुमार रामूवालिया, बिट्टू शर्मा, हर्ष शर्मा, कमल शर्मा, जोगिन्दर सिंह, अतुल सिगला, रोकी अग्रवाल, गुरदास भंडारी, संजय गौतम आदि हाजिर थे।