अपनी भूल को सुधारना ही उत्तम ज्ञान है: पंडित पवन गौतम
श्री सनातन धर्म मंदिर मे आयोजित श्री शिव महापुराण की कथा में प्रवचन करते हुए पंडित पवन गौतम ने बताया कि मानव शांति सुख और ज्ञान की प्राप्ति के लिए तीर्थ यात्रा ग्रंथों का अध्ययन और संतों का समागम करता है परंतु उसे इन सब चीजों की उपलब्धि नहीं होती है।
संवाद सहयोगी, मोगा
श्री सनातन धर्म मंदिर मे आयोजित श्री शिव महापुराण की कथा में प्रवचन करते हुए पंडित पवन गौतम ने बताया कि मानव शांति, सुख और ज्ञान की प्राप्ति के लिए तीर्थ यात्रा, ग्रंथों का अध्ययन और संतों का समागम करता है, परंतु उसे इन सब चीजों की उपलब्धि नहीं होती है। क्योंकि प्राणी अपनी कमियों को नहीं देखता है। अपनी एक भूल को स्वीकार करने की अपेक्षा दूसरों में कमियों को ढूंढता है।
पंडित पवन गौतम ने कहा कि जब तक हम अपने अंदर छुपी हुई गलतियों का अहसास नहीं करते, तब तक हमें सच्चे ज्ञान की प्राप्ति नहीं हो सकती है। पंडित जी ने कथा का वर्णन करते हुए बताया कि पूर्व काल में राजा क्षुभ का ऋषि दधीचि के साथ विवाद हुआ। राजा अपने आप को सर्वश्रेष्ठ, परम ज्ञानी व बुद्धिमान सिद्ध करने का प्रयास करने लगा। दधीचि ऋषि ने राजा क्षुभ को समझाया कि हे राजन सभी प्राणियों में समान भाव रखने वाला, सभी जीवों में ईश्वर का अंश देखने वाला प्राणी ही ज्ञानी होता है। लेकिन राजा ने ऋषि की बात नहीं मानी एवं क्रोध में आकर ऋषि पर पांव से प्रहार कर दिया। इससे ऋषि मूर्छित होकर गिर पड़े। उसके बाद जब ऋषि को होश आया तो उसने भगवान शिव की आराधना की और उनकी कृपा से सिद्धियां प्राप्त कीं। उधर, राजा क्षुभ को भगवान नारायण ने ज्ञान प्रदान किया जिससे राजा में सब के प्रति समान भाव की दृष्टि आ गई। उसे ऋषि का अपमान करने पर आत्मग्लानि हुई। ऋषि से क्षमा याचना की। ऋषि ने राजा को क्षमा करते हुए कहा कि हे राजन प्राणी मंत्र-जाप, तीर्थ यात्रा, व्रत आदि से पाप मुक्त हो सकता है। परंतु ज्ञानी नहीं। शास्त्र से विद्या प्राप्त हो सकती है। ज्ञान प्राणी को अंदर से प्राप्त होता है। अपनी अज्ञानता को समझ लेना ही सच्चा ज्ञान है।
कथा के दौरान जतिन मुरली ने लगन शिव से लगा बैठे जो होगा देखा जाएगा, तुम्हे अपना बना बैठे जो होगा देखा जाएगा .आदि भजनों से भक्तिरस बिखेरा। इस अवसर पर राज कुमार बांसल, अशोक कुमार बांसल, पवन गोयल, रविदर गर्ग, विजय गर्ग, आशा सिगला, इंद्रा गर्ग आदि ने आरती में भाग लेकर भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त किया।