मौत के सामने दीवार बनी स्कूटी
मोगा तीन माह पहले ही फ्रेंडस कालोनी में बनाए अपने सपनों के महल से चलकर फिजिक्स अध्यापिका गरिमा अग्रवाल इनरव्हील क्लब के एक समारोह में शामिल होने जा रही थीं। सपनों के महल से खुशियों के मेले के बीच मौत ने उन्हें आगोश में ले लिया।
सत्येन ओझा/राजकुमार राजू, मोगा
तीन माह पहले ही फ्रेंडस कालोनी में बनाए अपने सपनों के महल से चलकर फिजिक्स अध्यापिका गरिमा अग्रवाल इनरव्हील क्लब के एक समारोह में शामिल होने जा रही थीं। सपनों के महल से खुशियों के मेले के बीच मौत ने उन्हें आगोश में ले लिया। वहीं होनहार बेटी देवांशी दिल्ली के श्रीराम कालेज ऑफ कॉमर्स में बीकाम फाइनल की छात्रा है। जिस ट्रक के पहिये ने मां की जान ले ली थी, उसी ट्रक के दूसरे पहिये के नीचे बेटी आ गई थी, लेकिन मौत और देवांशी के बीच स्कूटी आ गई। इस दौरान स्कूटी चकनाचूर हो गई, लेकिन स्कूटी पहिये में फंस जाने के कारण पहिये की गति को ब्रेक लगने से देवांशी की जान बच गई।
उधर, समारोह स्थल पर भी जैसे ही सूचना क्लब की सक्रिय सदस्य गरिमा के हादसे में मौत की खबर पहुंची, तो वहां भी मातम का माहौल छा गया।
शहर के सबसे बड़े एजी इलेक्ट्रानिक्स सामान के शो रूम के मालिक एवं पति आशीष अग्रवाल ने पत्नी को ट्रक के नीचे शव के रूप में देखा, तो सुध-बुध खो बैठे। देर तक वह पत्नी को यूं ही निहारते रहे, शब्द तक नहीं निकले, आंखें भी कुछ समय तक के मानो पथरा गई हों। काफी मुश्किल से लोगों ने उन्हें संभाला।
प्रमुख कारोबारी आशीष अग्रवाल स्वयं रोटरी क्लब मोगा रॉयल में पदाधिकारी हैं, उनकी पत्नी गरीमा रोटरी इनरव्हील की सक्रिय सदस्य थीं। पति के साथ रोटरी क्लब व इनरव्हील क्लब के हर कार्यक्रम में सक्रियता के साथ भाग लेती थीं। डीएन माडल सीनियर सेकेंडरी स्कूल में गरीमा फिजिक्स की लेक्चरर थीं, वहीं पर उनका बेटा आठवीं कक्षा का विद्यार्थी है।
तीन महीने पहले तक पूरा परिवार प्रताप रोड पर नेहरू पार्क के सामने अपने शोरूम के ऊपर ही रहते थे। तीन महीने पहले ही आशीष व उनकी पत्नी गरिमा ने फ्रेंडस कालोनी में नई कोठी बनवाई थी। कोरोना काल में ही उन्होंने तीन महीने पहले कोठी में प्रवेश किया था।