सत्संग कर किया भगवान वाल्मीकि जी की महिमा का गुणगान
। वाल्मीकि सभा की ओर से भगवान वाल्मीकि जी का पावन प्रकट दिवस भगवान वाल्मीकि मंदिर में श्रद्धाभाव से मनाया गया।
संवाद सहयोगी, मोगा
वाल्मीकि सभा की ओर से भगवान वाल्मीकि जी का पावन प्रकट दिवस भगवान वाल्मीकि मंदिर में श्रद्धाभाव से मनाया गया। इसके तहत सत्संग का आयोजन किया गया। मंदिर में जारी श्री वाल्मीकि रामायण के पाठ की पूर्णाहुति की गई।
इस दौरान विशेष रूप उपस्थित समाजसेवी सोनी मंगला, प्रधान सिकंदर डुलगच, रिकू डुलगच, सौरभ, नरेश बोहत, त्यागी सिंह, रविदर कौर पूजन करके भगवान वाल्मीकि जी का आशीर्वाद प्राप्त किया। समाजसेवी सोनी मंगला ने इस त्योहार की शुभकामनाएं देते कहा कि हम सबको भगवान वाल्मीकि जी की शिक्षाओं का अनुसरण करते समाजसेवा के कार्य करने चाहिए। पंडित सुरिदर शर्मा ने भगवान वाल्मीकि जी की रामायण के पाठ की पूर्णाहुति करते महर्षि वाल्मीकि जी के जीवन के बारे में बताया कि वे भारत के पहले संस्कृत के कवि थे। हिदू महाकाव्य रामायण इनकी एक महान रचना है। उन्होंने माता सीता को अपने आश्रम में शरण दी थी । वहीं पर माता सीता जी ने अपने पुत्रों लव और कुश को जन्म दिया। लव कुश को शिक्षा भगवान वाल्मीकि ने दी। उन्होंने कहा कि इंसान की अगर इच्छा शक्ति उसके साथ हो तो कोई भी काम बड़े आराम से कर सकता है। अपनी इच्छा शक्ति से ही वह अपने मार्ग पर आगे बढ़ता है। इस दौरान खेम चंद मंडली की ओर से आज बड़ा ही शुभ अवसर है, वाल्मीकि का अवतार दिवस है, प्रकट दिवस की बधाई हो आदि भजनों से भक्ति रस बिखेरा। इस दौरान भंडारा भी लगाया गया। इस अवसर पर वाल्मीकि सभा के प्रधान सिकंदर डुलगच, सरपरस्त अशोक सफरी, चेयरमैन सतपाल सत्तू , रिकू डुलगच आदि मौजूद थे।