अनंतेश्वर महादेव शिव मंदिर में श्रद्धालुओं ने किया संकीर्तन
स्थानीय अमृतसर रोड स्थित अनंतेश्वर महादेव शिव मंदिर रामायण के पाठ दौरान संकीर्तन का आयोजन किया गया।
संवाद सहयोगी, मोगा
स्थानीय अमृतसर रोड स्थित अनंतेश्वर महादेव शिव मंदिर रामायण के पाठ दौरान संकीर्तन का आयोजन किया गया। सर्वप्रथम पंडित राजेश कुमार गौड़ की अध्यक्षता में भक्तों ने गणपति पूजन और नवग्रह का पूजन किया।
श्रद्धालुओं ने नवदुर्गा के दरबार में कोरोना महामारी को खत्म करने की प्रार्थना की। भगवती के दरबार मां की ज्योति प्रचंड की गई। महिला संकीर्तन मंडल द्वारा गणपति आराधना करके सामूहिक रूप में श्री हनुमान चालीसा का पाठ किया। मीनू शर्मा,मंजू बांसल, कांता शर्मा, कीर्ति शर्मा, सुमन अरोड़ा ने तेरे नाम दा रंग ऐसा चड़िया मां, तेरे बच्चियां ने तेरा पल्ला फाड़िया मां, सतगुर मै तेरी पतंग, रंग बरसे दरबार तेरे रंग बरसे ., राम मेरे घर आएंगे आएंगे प्रभु आएंगे. आदि भजनों से भक्ति रस बिखेरा। कथा करते पंडित राजेश गौड़ ने बताया कि प्रभु के दिव्य स्वरूप का ध्यान ही हमारे भीतर की कोमल वृतियों से परिचय कराता है। इसी से हमें परम सुख की अनुभूति होने लगती हैं। माता भगवती की पूजा, उसके नाम का गुणगान हमें विद्या व सद्बुद्धि प्रदान करता है। प्रभु राम की महिमा का वर्णन करते उन्होंने कहा कि हमें श्री राम के दर्शाए मार्ग पर चलते सदा संसार में समाज सेवा के कार्य करने चाहिए। उनके विचारों को अपने हृदय में बसाकर सबसे परस्पर प्रेम की भाषा का इस्तेमाल करना चाहिए। जरूरतमंदों की सेवा करनी चाहिए। इस अवसर पर रोहित बंसल, दीक्षा शर्मा, रोहित बंसल, धनिष्ठा शर्मा, हरगोविद गौड़, सुदेश अरोड़ा, सुमन अरोड़ा, कमलेश बांसल के अलावा अन्य हाजिर थे। सभी एकादशियों में महत्वपूर्ण है निर्जला एकादशी : नंदलाल हिदू धर्म ग्रंथों के मुताबिक निर्जला एकादशी सभी एकादशियों में सबसे महत्वपूर्ण होती है। इस दिन भक्त जल की एक बूंद ग्रहण किए बिना पूरा दिन व्रत रखते हैं अगले दिन शुभ मुहूर्त में पारण करने के बाद ही अन्न-जल ग्रहण करते हैं।
निर्जला एकादशी की महत्ता बताते बगलामुखी मंदिर के पुजारी आचार्य नंद लाल ने बताया कि मान्यता है कि निर्जला एकादशी व्रत करने से सभी एकादशियों का पुण्य लाभ मिलता है। दिवाकर पंचांग के अनुसार, हर साल ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को निर्जला एकादशी होती है। इस बार भी यह एकादशी दिन सोमवार 21 जून को होगी। इसे निर्जला एकादशी के अलावा पांडव एकादशी भी कहते हैं। यह भी मान्यता है कि निर्जला एकदशी के दिन व्रत से मोक्ष की प्राप्ति तो होती है साथ ही सभी मनोकामनाएं भी पूर्ण होती हैं। निर्जला एकादशी ज्येष्ठ महीने में पड़ती है ज्येष्ठ का मास अत्यंत गर्म होता है। जिसके चलते जल का विशेष महत्व होता है। इसलिए निर्जला एकादशी पर शीतलता प्रदान करने वाली चीजों को दान करने से बहुत पुण्य फल की प्राप्ति होती है। इस दिन ठंडा शरबत, पानी के घड़े, पंखे आदि का दान करना लाभप्रद माना जाता है।