हादसे में मौत का मामला : हिरासत में लिए किशोर को जीआरपी ने बिना जांच किए छोड़ा
। गांधी रोड फाटक के पास सामने से आ रहे बाइक सवार युवक को टक्कर मारने के मामले में मौके पर हिरासत में लिए ट्रक चालक किशोर को रेलवे पुलिस ने बिना जांच पड़ताल के छोड़ दिया।
जागरण संवाददाता.मोगा
गांधी रोड फाटक के पास सामने से आ रहे बाइक सवार युवक को टक्कर मारने के मामले में मौके पर हिरासत में लिए ट्रक चालक किशोर को रेलवे पुलिस ने बिना जांच पड़ताल के छोड़ दिया। हादसे में बाइक सवार की मौके पर ही मौत हो गई थी। रेलवे पुलिस ने ये भी जांच नहीं की कि हादसे की वजह बने कंडम ट्रक की पासिग कब हुई है।
चर्चा है कि परिवार के इकलौते बेटे की मौत का पांच लाख रुपये में राजीनामा कर समझौता करवाया गया है। उधर इस मामले को लेकर भड़े पलेटी शिफ्ट करो संघर्ष समिति के पदाधिकारी शनिवार को सुबह 11 बजे गांधी रोड बंद करने का दावा कर खुद गायब हो गए, बाद में फोन भी उठाना बंद कर दिया। क्या था मामला
गांव सिघावाला निवासी सुमनप्रीत सिंह उर्फ सोनू (38 साल) शुक्रवार को सुबह एफसीआइ मजदूरों को अपने पिता का कुछ सामान देने रेलवे स्टेशन की पलेटी पर आया था। सामान देने के बाद जब वह वापस लौट रहा था तो गांधी रोड रेलवे फाटक के करीब पलेटी की ओर टर्न ले रहे ट्रक ने उसे सामने से टक्कर मार दी। ट्रक की टक्कर से वह सड़क पर गिर पड़ा तो ट्रक चला रहे एक किशोर ने ट्रक को और तेजी से भगाने की कोशिश की तो सड़क पर गिरे सोनू के सिर के ऊपर से ट्रक के पिछले पहिये निकल गए , मौके पर ही उसकी मौत हो गई थी।
हादसे के बाद आसपास के लोगों ने ट्रक चला रहे किशोर को पकड़कर पुलिस को सौंप दिया था। हादसा रेलवे की हद में होने के कारण सिविल पुलिस सिविल पुलिस ने पकड़े गए आरोपित को जीआरपी के हवाले कर दिया था। जीआरपी चौकी प्रभारी एएसआइ जसवंत सिंह ने बताया कि दोनों पक्षों में समझौते होने के कारण कोई कार्रवाई नहीं की गई। ट्रक चला रहा युवक 20 साल का था, उसे भी छोड़ दिया गया है।
आंदोलन के नाम पर ड्रामा
इस घटना के बाद पलेटी शिफ्ट करो संघर्ष समिति के सदस्यों ने गांधी रोड फाटक पर जाम लगा दिया था। दो घंटे बाद एफसीआइ यूनियन के एक नेता के इस आग्रह के बाद खुद ही जाम खोल दिया था। मौके पर पहुंचे एफसीआइ यूनियन के नेता ने वादा किया था वे शनिवार को स्पेशल लोडिग का बहिष्कार कर खुद गांधी रोड फाटक बंद कराने के लिए पहुंचेंगे। शनिवार को मीडिया धरनास्थल पर पहुंच गया, लेकिन न तो पलेटी हटाओ संघर्ष समिति के पदाधिकारी दिखे न एफसीआई के लेबर यूनियन का कोई नेता। बाद में पता चला कि एफसीआइ लेबर यूनियन ने ट्रक मालिक के साथ मृतक युवक के परिवार के साथ पैसों का लेन-देन कर समझौता करवा दिया है। इसीलिए कल वे मामले को खत्म कराने के लिए धरना उठवाने आए थे, लोडिग का बहिष्कार करने की बाद झूठ बोली थी।
लंबी कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ेगी
गांधी रोड पर ही सड़क हादसे में 28 नवंबर को हुई फिजिक्स लेक्चरर गरिमा की मौत के बाद बनी जस्टिम फार गरिमा ग्रुप के संचालक एडवोकेट वरिदर अरोड़ा एवं एनजीओ प्रयास के संस्थापक डा.सीमांत गर्ग का कहना है कि स्टेशन से गोदाम शिफ्टिंग की लड़ाई रास्ता जाम करके नहीं जीती जा सकती है। इसके लिए लंबी कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ेगी क्योंकि गंभीर होती जा रही इस समस्या में लोगों की जिदगी के प्रति न तो रेलवे अधिकारियों को सहानुभूति है न ही जिला प्रशासन के अधिकारियों व नेताओं को। अगर किसी को भी सहानुभूति होती तो ढुलाई के लिए कंडम ट्रक इस्तेमाल नहीं हो रहे हाते। दोपहिया वाहनों के चालान करने वाले पुलिस मुलाजिमों को कंडम ट्रक किशोर चलाते हुए नहीं दिखते हैं। उन्हें लोगों की जिदगी से कोई सरकार नहीं है, सिर्फ सरकारी खजाने को भरकर वाहवाही लूटने में मस्त हैं।
दोनों ही संस्थाएं सूचना अधिकार अधिनियम के तहत पलेटी शिफ्ट करने की रेलवे की पिछली योजनाओं व भावी संभावनाओं की जानकारी जुटा रहे हैं। सड़क हादसे के मामले में भी रेलवे पुलिस से सूचना अधिकार अधिनियम के तहत ट्रक चला रहे किशोर का ड्राइविग लाइसेंस, हादसे का कारण बने ट्रक के दस्तावेज, उसकी पासिग आदि की जानकारी मांगी जा रही है। ताकि अदालत में इन सभी कारणों के लिए जिम्मेदार लोगों को पार्टी बनाया जा सके।