मेयर मौन रहीं, निगम हाउस की पहली बैठक में 28 करोड़ के प्रस्ताव हो गए पास

। नगर निगम के इतिहास में पहली बार मेयर नीतिका भल्ला पूरी बैठक के दौरान मौन रहीं। इस दौरान 28 करोड़ रुपये से ज्यादा लागत के प्रस्ताव भी पास घोषित कर दिए गए।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 02 Aug 2021 10:42 PM (IST) Updated:Mon, 02 Aug 2021 10:42 PM (IST)
मेयर मौन रहीं, निगम हाउस की पहली बैठक में 28 करोड़ के प्रस्ताव हो गए पास
मेयर मौन रहीं, निगम हाउस की पहली बैठक में 28 करोड़ के प्रस्ताव हो गए पास

सत्येन ओझा.मोगा

नगर निगम के इतिहास में पहली बार मेयर नीतिका भल्ला पूरी बैठक के दौरान मौन रहीं। इस दौरान 28 करोड़ रुपये से ज्यादा लागत के प्रस्ताव भी पास घोषित कर दिए गए। प्रस्तावों में 11 करोड़ रुपये के दो बड़े प्रस्ताव शामिल थे, जिनमें नए म्यूनिसिपल भवन का, दूसरा मंडी में मल्टी स्टोरी पार्किंग का। सचिव के स्थान पर निगम हाउस की मीटिग का संचालन कर रहे निगम कमिश्नर सुरिदर सिंह ने 48 पेज का एजेंडा एवं चार पेज का सप्लीमेंटरी एजेंडा 59 मिनट चली बैठक में पढ़ दिए। इस अवधि में विपक्षी सदस्यों के बोलने का मौका भी मिला। विपक्षी पार्षदों का कहना था कि मेयर के इसी मौन को छुपाने के लिए मीडिया को कवरेज से रोका गया।

वार्ड 23 से अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट से जीतकर सदन में पहुंची बीबी रानी कौर का दर्द झलक पड़ा। उन्होंने सवाल उठाया कि ये निगम अमीरों के लिए बना है क्या, यहां गरीबों की कोई सुनवाई नहीं है, वे अनपढ़ हैं तो उनकी कोई सुनवाई नहीं होगी। उनके वार्ड का हाल जाकर देखो, सीवरेज सड़कों पर बह रहा है, मच्छरों से बुरा हाल है। निगम अधिकारियों को शिकायत पर शिकायत कर रही हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। रानी कौर की बात सुन पूरे सदन में कुछ पलों के लिए खामोशी छा गई। लेकिन उनका दर्द एजेंडे के प्रस्ताव 'पास-पास' की आवाजों में दबकर रह गया। 59 मिनट में पढ़ दिए 48 पेज के प्रस्ताव

निगम हाउस की दोपहर तीन बजकर पांच मिनट पर शुरू हुई। बैठक का एजेंडा सचिव के बजाय निगम कमिश्नर सुरिदर सिंह ने पढ़ना शुरू किया। निगम कमिश्नर ने बैठक शुरू करने के लिए मेयर नीतिका भल्ला से अनुमति मांगी तो उन्होंने मौन रहते हुए सिर्फ सहमति में सिर हिला दिया। सिर्फ मेयर ही नहीं बल्कि सीनियर डिप्टी मेयर प्रवीन कुमार शर्मा व डिप्टी मेयर अशोक धमीजा भी शांत रहे। पास-पास की आवाजें कहीं और से आती रहीं और एजेंडे पास होते गए। विपक्षी पार्षदों की आवाज को भी दबा दिया गया।

अकाली पार्षद गौरव गुड्डू ने एफएंडसीसी सदस्यों के गैर कानूनी ढंग से निर्वाचन की बात कही तो उन्हें ये कहते हुए बैठा दिया गया कि वे भाषण न दें। गुड्डू बाद में डिसेंडिग नोट (विरोध में पत्र) देकर शांत होकर बैठ गए। खर्च निगम करे, वसूली ठेकेदार क्यों?

शहर के कोटकपूरा बाईपास रोड सहित कई हिस्सों में 65 लाख रुपये की लागत से स्ट्रीट लाइटें लगाने के प्रस्ताव पर अकाली पार्षद मंजीत धम्मू ने आपत्ति जताते हुए कहा कि कोटकपूरा बाईपास टोल रोड है। यहां पर चौराहों पर ट्रैफिक लाइटें लगाने की जिम्मेदारी ठेकेदार की है, वह इसी बात का टोल वसूलता है। पैसे लोगों की जेब से जा रहे हैं तो हाईवे ठेकेदार से लाइटें लगवाई जाएं। पैसे ठेकेदार की जेब में जाएं, खर्च निगम के खजाने से हो, ये शहरवासियों के जेब से आए पैसों की बर्बादी है, लेकिन धम्मू का ये प्रस्ताव ये कहकर ठुकरा दिया कि हाईवे अथारिटी से कहकर ट्रैफिक लाइटें लगवाएंगे तो उसमें देर हो जाएगी। सरकार से लाओ फंड एमएलए साहब

बाद में सात करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले नए म्यूनिसिपल भवन के मामले में धम्मू ने सुझाव दिया कि भवन बने इसका अकाली दल स्वागत करता है, इसकी जरूरत भी है, लेकिन इस भवन के लिए नगर निगम के खजाने पर बोझ न डाला जाए। सदन में कांग्रेस विधायक डा.हरजोत मौजूद हैं, सरकार से फंड मंजूर कराएं, सरकार के फंड से भवन बने। इस प्रस्ताव को भी पास-पास कहते हुए खारिज कर दिया गया।

वार्ड 34 में सड़कें नहीं, सीवरेज का बुरा हाल : हरिराम

वार्ड 34 से अकाली दल के ही पार्षद हरिराम ने बुक्कनवाला रोड की समस्याओं को उठाया कि वहां न नालियां, न सड़कें, सीवरेज, सीवरेज का पानी सड़कों पर बह रहा है, वे लगातार लिखित में सड़कें बनाने के प्रस्ताव दे चुके हैं, लेकिन अकाली दल का पार्षद होने के साथ उनके क्षेत्र के साथ भेदभाव किया जा रहा है।

विपक्ष ने लगाए मुर्दाबाद के नारे

बैठक खत्म होते ही जैसे ही विपक्षी दल के पार्षद बैठक हाल से बाहर आए उन्होंने कांग्रेस सरकार, मेयर व विधायक के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। विपक्षी दल ने कांग्रेस पर भेदभाव के आरोप लगाए। वार्ड-47 से पार्षद पूनम मुखीजा के पति राज मुखीजा बैठक हाल के बाहर नगर निगम अधिकारियों को अपने क्षेत्र की तीन सड़कें बनाने के लिए 20 मई को निगम अधिकारियों को दिए प्रस्ताव की प्रतियां दिखाते हुए कहा कि उनके क्षेत्र में सड़कें टूटी पड़ी हैं, दूषित पानी लोग पीने को मजबूर हैं, लेकिन अकाली दल का पार्षद होने के नाते उनके क्षेत्र में कोई काम नहीं कराया जा रहा है। सफाई का बुरा हाल है, उन्होंने 4500 रुपये महीने में खुद सफाई मुलाजिम रखकर क्षेत्र में सफाई का काम शुरू कराया है, ताकि चुनाव में जनता से जो वादे किए थे पूरे हो सकें। अकाली दल के पार्षद मंजीत धम्मू ने वार्ड-43 का मामला उठाया, वहां के ट्यूबवेल से चार महीने पहले निगम के मुलाजिम मोटर खोल लाए हैं लेकिन लगी नहीं है, जिससे वहां पानी का संकट बना हुआ है।

पानी-सीवरेज की बढ़ी दरों का फैसला रद

विधायक डा.हरजोत कमल की ओर से पानी, सीवरेज के पांच मरले तक के मकानों लगाए गए वाटर एंड सीवरेज टैक्स में राहत देने के प्रस्ताव आया था, जिसे सदन के पटल सीनियर डिप्टी मेयर प्रवीन कुमार पीना ने रखा। इस प्रस्ताव में कहा गया है कि पांच मरले तक के मकान के मालिक जिनकी सालाना आमदनी दो लाख रुपये या उससे कम है, उनसे पानी व सीवरेज टैक्स नहीं लिया जाएगा, उससे ज्यादा बड़े मकानों पर पुराना टैरिफ ही जारी रहेगा, नया बढ़ा टैरिफ लागू नहीं होगा।

दुकानदारों व अन्य वाणिज्यिक संस्थाओं पर लाइसेंस फीस पर लगाई पैनल्टी के मामले में ही राहत दे दी गई। लाइसेंस लेने की अवधि निकल जाने के बाद प्रतिदिन 100 रुपये की पैनल्टी का प्रावधान खत्म कर प्रस्ताव पास किया गया है, दो महीने तक पैनल्टी नहीं ली जाएगी, लेकिन निर्धारित अवधि बीत जाने के बाद अगर दुकानदार लाइसेंस नहीं लेता है तो उसे दो गुनी फीस जमा करानी पड़ी। पहले लाइसेंस लेने की अवधि बीत जाने के बाद 100 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से पैनेल्टी का प्रावधान था, जिसको लेकर दुकानदारों में आक्रोश था।

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