डमी नहीं सियासत में सक्रिय आधी आबादी की पूरी आजादी की मांग

सत्येन ओझा मोगा नगर निगम में आधी आबादी के लिए आधी सीटें आरक्षित होने के बाद इस बार महिल

By JagranEdited By: Publish:Fri, 23 Oct 2020 10:37 PM (IST) Updated:Sat, 24 Oct 2020 05:04 AM (IST)
डमी नहीं सियासत में सक्रिय आधी आबादी की पूरी आजादी की मांग
डमी नहीं सियासत में सक्रिय आधी आबादी की पूरी आजादी की मांग

सत्येन ओझा, मोगा

नगर निगम में आधी आबादी के लिए आधी सीटें आरक्षित होने के बाद इस बार महिला आरक्षित सीटों पर डमी प्रत्याशी के रूप में अपनी पत्नियों को उतारने वाले नेताओं को बड़ा झटका लग सकता है। विभिन्न पार्टियो के महिला विग से अब यह मांग उठने लगी है कि निगम चुनाव में टिकट पार्टी में सक्रिय रहने वाली महिला कार्यकर्ताओं को ही दिया जाए। पार्टी पदाधिकारियों की उन पत्नियों को टिकट न दी जाए जो पार्टी कार्यक्रमों में सक्रिय नहीं रहती हैं। इनका कहना है कि चुनाव में महिलाओं के लिए सीट आरक्षित होने पर पहले से पार्षद रह चुके नेता अपनी पत्नियों को चुनाव में उतार देते हैं, भले ही पार्टी की वे प्राथमिक सदस्य न हों।

गौरतलब है कि भाजपा महिला मोर्चा की दो दिन पहले चंडीगढ़ में हुई बैठक में मोगा से पहुंची महिला पदाधिकारियों ने मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष मोना जायसवाल के समक्ष यह मांग उठाई थी कि पार्टी की रैली या सभाओं में सक्रिय रहने वाली महिलाओं के अधिकारों को उस समय छीन लिया जाता है, जब पार्टी के किसी बड़े पदाधिकारी, पार्षद या विधायक रह चुके नेताओं की पत्नियों को टिकट थमा दी जाती है, जिनका पार्टी के लिए कोई योगदान नहीं होता, किसी बैठक में नहीं जाती।

उधर, मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष नीतू खुराना ने शुक्रवार को शहीदी पार्क में महिला मोर्चा की बैठक में भरोसा दिया कि पार्टी में सक्रिय महिलाओं को ही निगम चुनाव में टिकट दी जाएगी। जिलाध्यक्ष विनय शर्मा ने भी नीतू खुराना की दलीलों से सहमति जताई। उधर पार्टी के कुछ बड़े पदाधिकारी व पूर्व पार्षद उनकी सीट महिला के लिए आरक्षित होने पर चुनाव में उतारने की तैयारी कर चुके हैं, वार्डो में जनसंपर्क भी शुरू कर दिया है।

यह स्थिति भाजपा ही नहीं बल्कि अकाली दल व कांग्रेस की महिलाओं ने भी उठानी शुरू कर दी है। अकाली दल की सर्किल प्रधान गुरुचरण कौर की भी दलील है कि पार्टी में सक्रिय महिला को ही टिकट मिले तभी सदन में महिलाएं सही भूमिका निभा सकती हैं। महिलाओं को डमी प्रत्याशी के रूप में निगम में भेज देने से जब उनकी परफॉर्मेंस सही नहीं होती है, तो इसका नुकसान पार्टी को ही होता है।

कांग्रेस पार्टी महिला मोर्चा पंजाब की सदस्य व मीडिया कोआर्डिनेटर सुमन कौशिक का कहना है कि पार्टी में सक्रिय महिला को टिकट मिलेगी तभी वे पार्टी को मजबूती प्रदान कर सकेंगी, निगम में भी सक्रिय भागीदारी निभा सकेंगी। डमी महिलाओं को उतार देने से नुकसान पार्टी को ही होता है क्योंकि ऐसी महिलाएं जिन्होंने कभी राजनीतिक कार्यक्रमों में भाग ही नहीं लिया, पब्लिक में नहीं गई। ऐसी स्थिति में वे निगम में भी उतनी ज्यादा सक्रिय भूमिका नहीं निभा सकती हैं।

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कई नेताओं की पत्नियां प्रत्याशी बनने की लाइन में?

यह अलग बात है कि कांग्रेस व अकाली दल दोनों में ही पार्टी में सक्रिय महिलाओं के स्थान पर आधे से ज्यादा नेताओं की ऐसी पत्नियां प्रत्याशी बनने की लाइन में हैं। जिन्होंने पार्टी में कभी एक बैठक तक अटैंड नहीं की है और न ही किसी रैली में शिरकत की है। उनकी पहचान नेता की पत्नी के रूप में ही हैं।

इनमें से निवर्तमान मेयर अक्षित जैन का वार्ड महिला के लिए आरक्षित हो गया है। ऐसे में या तो वे खुद अपने लिए नई जमीन की तलाश करेंगे या फिर अपनी पत्नी को चुनाव मैदान में उतार सकते हैं। इसी प्रकार अकाली दल के पूर्व पार्षद मंजीत धम्मू, कांग्रेस के पूर्व पार्षद काला बजाज, अकाली दल के पूर्व पार्षद दविदर तिवाड़ी, पूर्व पार्षद मंजीत मान (कांग्रेस) आप नेता नसीब बावा, दविदर रनियां (कांग्रेस), भाजपा के महामंत्री व पूर्व पार्षद बोहड़ सिंह के पुराने वार्ड महिलाओं के लिए आरक्षित हो चुके हैं। ऐसे में ज्यादातर पूर्व पार्षद अपनी पत्नियों को चुनाव मैदान में उतारने की तैयारी कर रहे हैं या फिर नई जगह की तलाश में हैं। हालांकि इनमें से भाजपा नेता बोहड़ सिंह की पत्नी पार्षद रह चुकी हैं, लेकिन वह पार्टी की बैठकों व रैलियों में कभी-कभी ही दिखती हैं।

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