माफिया ने शहर में स्वच्छता का नया माडल किया 'कचरा'

। शहर में एक जनवरी से शुरू हुए स्वच्छता माडल का शहर में सक्रिय कचरा माफिया ही दम निकाल रहे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 16 Jan 2021 03:04 PM (IST) Updated:Sun, 17 Jan 2021 02:32 AM (IST)
माफिया ने शहर में स्वच्छता का नया माडल किया 'कचरा'
माफिया ने शहर में स्वच्छता का नया माडल किया 'कचरा'

जागरण संवाददाता.मोगा

शहर में एक जनवरी से शुरू हुए 'स्वच्छता माडल' का शहर में सक्रिय कचरा माफिया ही दम निकाल रहे हैं। निगम कमिश्नर ने एक जनवरी को देर रात देव होटल के निकट मेन बाजार व रेलवे रोड पर छापा मारकर कचरा फेंकने वालों के चालान किए थे। उनकी सख्ती तीन-चार दिन तक तो दिखी, लेकिन अब फिर से शहर में 'सेकेंडरी डंप' शहर के वातावरण में प्रदूषण घोल रहे हैं।

गीता भवन चौक पर कश्मीरी पार्क की पार्किंग में तो हर दिन कुछ लोग पहले कचरे में आग लगाकर उसे अलाव बना लेते हैं, बाद में उसी आग के बीच वहां दोपहर तक कचरा अलग-अलग करते हैं। हर दिन दोपहर 12 बजे तक वहां कचरा दुर्गध बिखेरता रहता है। जिससे प्रतिदिन यहां हजारों की संख्या में मार्निंग वाक पर आने वाले लोगों की मुश्किलें बढ़ गई हैं।

लागू की थी नई व्यवस्था

नगर निगम ने नए साल के आगाज के साथ ही शहर को क्लीन और ग्रीन सिटी बनाने के लिए 12 टीमें गठित की थीं। इनको 12 ट्रैक्टर सौंपे गए थे। आठ ट्रैक्टर ट्रालियां निगम के पास थीं, जबकि पांच ट्रैक्टर-ट्रालियां और कैंटर किराए पर लिए गए हैं। सभी 12 टीमों को शहर में सभी वार्डों में एक दिन छोड़कर घरों व व्यवसायिक प्रतिष्ठानों से खुद कचरा उठाने जाना था। निगम के कागजी रिकार्ड में तो ट्रैक्टर ट्रालियां घर-घर से कचरा उठा रही हैं। लाखों रुपये का डीजल हर दिन फुंक रहा है, लेकिन शहर के आधे से ज्यादा हिस्से में ट्रैक्टर- ट्रालियां जा ही नहीं रहीं। खासकर न्यू गीता कालोनी, किशनपुरा मोहल्ला, वेदांत नगर, परवाना नगर, गीता भवन क्षेत्र में अभी तक निगम की ट्रैक्टर ट्रालियां किसी ने देखी ही नहीं हैं। पहले की तरह प्राइवेट लोग घरों से कचरा उठा रहे हैं। इस क्षेत्र के लोग सुबह जब सैर के लिए निकलते हैं तो कश्मीरी पार्क की पार्किंग में सिर्फ कचरे का बड़ा डंप दिखता है। उसी की दुर्गध से होकर हर रोज इन्हें निकलना पड़ता है। क्या है जमीनी हकीकत

निगम कमिश्नर अनीता दर्शी ने सबसे पहले निगम के ठेके वाले सफाई सेवकों के साथ बैठक कर उनका मानदेय 2100 रुपये से बढ़ाकर डीसी रेट पर 8000 रुपये मासिक करवाया, ताकि नए साल के पहले दिन से शहर में सफाई के नए माडल को प्रभावी ढंग से लागू किया जा सके। उसके बाद लगातार उन्होंने नए प्रोजेक्ट की व्यवस्था से जुड़े सभी मुलाजिमों, यूनियन के पदाधिकारियों से चर्चा की लेकिन 15 दिन में करीब 10 बैठकों के बावजूद निगम के ही मुलाजिम सफाई के नए माडल को शहर में लागू करने के लिए तैयार नहीं हो पा रहे। ये है कड़वी सच्चाई

निगम ने नए माडल को लागू करने के लिए कूड़ा उठाने के लिए प्रति घर से 200 वर्ग गज के मकान के लिए 50 रुपये, 500 वर्ग गज या उससे बड़े मकान के लिए 100 रुपये मासिक वसूली का रेट तय किया है। ये राशि लेने के बाद पाज मशीन से प्रिटेट रसीद मौके पर देनी होगी। अभी तक जो लोग घरों से कचरा उठा रहे हैं वे घर में रहने वाले प्रति परिवार से 100 रुपये से लेकर 200 रुपये मासिक वसूल रहे हैं। एक घर में तीन परिवार रह रहे हैं तो वसूली तीनों परिवार से कर रहे हैं। बाद में शहर के करीब 60 स्थानों पर आबादी के बीच कचरा फेंककर वहां पर छंटनी कर कचरा भी बेचते हैं। कचरे के कारोबार से संबंध रखने वाले एक व्यक्ति का कहना है कि कचरे का शहर में हर महीने एक करोड़ के करीब का कारोबार है। ऐसा नहीं है कि इसका बड़ा लाभ घरों से कचरा उठाने वालों को मिलता हो, कुछ प्रभावशाली लोग इस कारोबार को लगातार जारी रखने के लिए घरों से वसूली राशि का बड़ा हिस्सा बिना कुछ किए खुद लेते हैं। इसके बदले वे ये गारंटी भी लेते हैं निगम कुछ भी कर ले, वे नई व्यवस्था को नहीं लागू होने देंगे। निगम की ये व्यवस्था लागू होती है तो इन चंद कचरा माफियाओं का धंधा चौपट हो जाएगा, इसलिए वे शहर की स्वच्छता के लिए बनाए गए इस नियम को लागू ही नहीं होने दे रहे हैं। कचरा निगम कर्मचारियों को ही दें लोग: निगम कमिश्नर

नए स्वच्छता माडल को हर कीमत पर लागू किया जाएगा। अब बाहर से ही कचरा उठाने के लिए मासिक वेतन पर लोगों को रखने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, शहर को हर साल में स्वच्छ बनाया जाएगा। उन्होंने शहरवासियों से भी अपील की है कि वे निगम के इस प्रोजेक्ट को लागू करने में मदद करें। घरों से निकलने वाला कचरा निगम की ट्रैक्टर-ट्रालियों को ही दें। ट्रालियां न आने पर निगम कार्यालय में इसकी सूचना दें।

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