नर्सिग स्टाफ की हड़ताल, नशा उन्मूलन केंद्र पर दो दिन से दवा का वितरण बंद
। पंजाब हेल्थ सिस्टम कारपोरेशन में ठेके पर काम कर रहे नर्सिंग स्टाफ के हड़ताल पर चले जाने के बाद दो दिन से जिले के डरौली भाई व बधनीकलां ओट केन्द्रों पर नशा उन्मूलन की दवा लेने वाले लोगों में आक्रोश फूट गया।
जागरण संवाददाता.मोगा
पंजाब हेल्थ सिस्टम कारपोरेशन में ठेके पर काम कर रहे नर्सिंग स्टाफ के हड़ताल पर चले जाने के बाद दो दिन से जिले के डरौली भाई व बधनीकलां ओट केन्द्रों पर नशा उन्मूलन की दवा लेने वाले लोगों में आक्रोश फूट गया। दोनों सेंटरों पर दवा न मिलने से नाराज लोगों ने प्रदर्शन कर नशा खत्म करने वाली गोलियां निरंतर जारी रखने की मांग की। डरौली भाई केंद्र पर प्रदर्शनकारियों ने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का गेट बंद करने का प्रयास किया। केंद्र के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा.इन्द्रवीर सिंह गिल ने किसी तरह समझा-बुझाकर प्रदर्शनकारियों को शांत किया। गौरतलब है कि पंजाब हेल्थ सिस्टम ठेके पर काम करने वाला नर्सिंग स्टाफ पिछले रेगुलर करने की मांग को लेकर हड़ताल पर है, जिस कारण दो दिन से जिले के करीब आठ ओट सेंटरों (नशा उन्मूलन केन्द्रों) में नशा छुड़ाने की गोलियां वितरित नहीं की जा रही हैं। इससे नाराज होकर करीब 150 की संख्या में डरौली व उसके आसपास के 10-12 गांव के लोगों ने सुबह करीब 10 बजे सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र का गेट बंद करने का प्रयास किया।
प्रदर्शनकारियों के आक्रामक तेवर देखते हुए केन्द्र पर तैनात मुख्य चिकित्साधिकारी डा.इन्द्रवीर सिंह गिल ने प्रदर्शनकारियों को समझाने-बुझाने का प्रयास किया, उन्हें समझाया कि नशा छुड़ाने की गोलियां पूरी तरह आनलाइन सिस्टम पर आधारित है। पोर्टल पर हर डोज चढ़ानी पड़ती है, इस सिस्टम पर काम करने वाला स्टाफ हड़ताल पर होने के कारण वे चाहकर भी उन्हें गोलियां वितरित नहीं कर सकत हैं। साथ ही उन्होंने भरोसा दिया कि सरकार के स्तर पर इस समय बात चल रही है हो सकता है कि शाम तक कोई हल निकल आए।
प्रदर्शनकारियों में शामिल नछत्तर सिंह, सरूप सिंह कोरेवाला, अमरजीत सिंह, नछत्तर सिंह, जग्गासिंह, अमरजीत सिंह डगरू, प्रितपाल सिंह कोरेवाला, जसविदर सिंह, सिघावाला, तोतासिंह भोलासिंह, प्रदर्शन सिंह माहला कलां, नायब सिंह दौलतपुरा उच्चा, शंकर सिंह साफूवाला ने कहा है कि वे नशे से बाहर आना चाहते हैं, मेहनत मजदूरी करते परिवार का पेट पाल रहे हैं, अगर उन्हें नशा छोड़ने की गोलियां नियमित रूप से नहीं मिलती हैं तो उन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है, बीच में गोलियां न मिलने से उन्हें शारीरिक रूप से भी मानसिक रूप से भी मुश्किल हो जाती है। यही स्थिति बधनीकलां केन्द्र पर भी देखने को मिली, वहां भी आक्रोशित लोगों ने जमकर नारेबाजी की।