मोगा में पार्किंग में डिलीवरी मामले की जांच में स्टाफ दोषी, जांच कमेटी ने हेल्थ डायरेक्ट को सौंपी रिपोर्ट

मथुरादास सिविल अस्पताल मोगा की पार्किंग के फर्श पर गत 10 अक्टूबर को गर्भवती महिला की हुई डिलीवरी मामले में हाईपावर कमेटी की जांच में सिविल अस्पताल के मेडिकल स्टाफ की लापरवाही सामने आई है। तीन सदस्यीय जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट डायरेक्टर हेल्थ डा. मंजीत सिंह को सौंपी है।

By Edited By: Publish:Thu, 22 Oct 2020 10:38 PM (IST) Updated:Fri, 23 Oct 2020 10:59 AM (IST)
मोगा में पार्किंग में डिलीवरी मामले की जांच में स्टाफ दोषी, जांच कमेटी ने हेल्थ डायरेक्ट को सौंपी रिपोर्ट
जानकारी देता हुए प्रसूता अंकिता का भाई रविंद्र कुमार व अन्य।

मोगा, जेएनएन। मथुरादास सिविल अस्पताल मोगा की पार्किंग के फर्श पर गत 10 अक्टूबर को गर्भवती महिला की हुई डिलीवरी मामले में हाईपावर कमेटी की जांच में सिविल अस्पताल के मेडिकल स्टाफ की लापरवाही सामने आई है। डिप्टी डायरेक्टर सेहत विभाग डा. सतपाल की अध्यक्षता में बनी तीन सदस्यीय जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट डायरेक्टर हेल्थ डा. मंजीत सिंह व सचिव मेडिकल हेल्थ हुसन लाल को सौंप दी है। ऐसे में आगामी कुछ दिन में सिविल अस्पताल के मेडिकल अधिकारियों पर गाज गिर सकती है। बता दें कि इससे पहले सिविल सर्जन डा. अमरजीत कौर ने इस मामले में भेजी प्रारंभिक रिपोर्ट में पीड़ित पक्ष की शिकायत को छुपाकर मेडिकल स्टाफ को क्लीन चिट दे दी थी। जांच रिपोर्ट सौंपे जाने व स्टाफ के दोषी पाए जाने की पुष्टि डा. सतपाल ने की है।

यह था मामला

गांव जलालाबाद पूर्वी स्थित एक ईट भट्ठा पर काम करने वाला उत्तर प्रदेश के जिला शामली का मजदूर रविंदर कुमार अपनी गर्भवती बहन 19 वर्षीय अंकिता पत्नी सरवन को उसकी (अंकिता) सास शकुंतला के साथ 10 अक्टूबर की सुबह 5.03 बजे सिविल अस्पताल के महिला वार्ड में लेकर पहुंचा था। जहां सुबह लगभग 5.30 बजे उस समय महिला व बाल विभाग में तैनात चिकित्सक डा. सिमरत कौर ने अंकिता का चेकअप करने के बाद खून में हीमोग्लोबिन की कमी बताते हुए उसे वहां से फरीदकोट के लिए रेफर कर दिया था। रेफर की पर्ची पर डाक्टर ने नो टेस्ट भी लिखा है यानि हीमोग्लोबिन के अलावा महिला का कोई दूसरा टेस्ट नहीं हुआ। उस दौरान रविंदर कुमार अपनी गर्भवती बहन व उसकी सास को लेकर अस्पताल की पहली मंजिल से नीचे आ गया। परिवार के लोग जब महिला वार्ड के नीचे वाहनों की पार्किंग वाली जगह पहुंचे, तो अंकिता को प्रसव पीड़ा होने लगी, वह दर्द से छटपटाने लगी। अंकिता की सास शकुंतला ने अपनी बहू की हालत देख उसे पार्किंग में जमीन पर ही लिटाकर उस पर चादर डालकर खुद ही डिलीवरी कराई। बाद में पीड़ित का भाई नवजात भांजी व बहन को इमरजेंसी के स्ट्रेचर पर रखकर बहन के इलाज के लिए दो घंटे तक गुहार लगाता रहा। पीड़ित का इलाज ढाई घंटे बाद तब शुरू हुआ, जब उसने लिखित शिकायत एसएमओ डा. राजेश अत्री को दी। बाद में प्रसूता व नवजात बच्ची को मेडिकल कालेज फरीदकोट रेफर किया गया था।

पहले भी चिकित्सक दंपती ठहराए जा चुके हैं दोषी

सिविल अस्पताल में फर्श पर डिलीवरी का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले नौ जनवरी को भी अमनप्रीत कौर नामक महिला प्रसव पीड़ा से जच्चा-बच्चा वार्ड में छटपटाती रही, लेकिन किसी ने नहीं सुनी थी। आखिरकार उसकी डिलीवरी भी लेबर रूम के सामने फर्श पर हो गई थी, कुछ दिन बाद उसके बच्चे की मौत हो गई थी। इस मामले में सिविल अस्पताल का चिकित्सा दंपती जांच में दोषी पाया गया था, लेकिन तब स्वास्थ्य मंत्री डा. बलबीर ¨सह ने नियमों के खिलाफ जाकर उन्हें माफी दे दी थी।

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