माता चितपूर्णी मंदिर में करवाई माता की चौकी
। प्राचीन माता चितपूर्णी मंदिर में माता की चौकी और संकीर्तन का आयोजन किया गया।
संवाद सहयोगी, मोगा
प्राचीन माता चितपूर्णी मंदिर में माता की चौकी और संकीर्तन का आयोजन किया गया। पुजारी भूपिदर गौतम की अध्यक्षता में प्रधान विजय सिगला, विकास विक्की, ओमकार सिगला व अन्य श्रद्धालुओं ने दरबार में ज्योति प्रज्वलित की।
सभी भक्तों ने पूजन कर सर्वभले के लिए प्रार्थना की। महिला संकीर्तन मंडल ने गणपति राखो मेरी लाज, पूर्ण कीजो मेरे काज, तेरी जय हो गणेश तेरी जय हो गणेश से भजन गायन आरंभ किया। इस दौरान प्रोमिला, शशि, राम मूर्ति, उमा, मीनू, संतोष, वीना, किरणदीप, सुषमा ने कृपा कर दे मां कृपा करदे, बेटा जो बुलाए मां को आना चाहिए, तेरा लख लख शुक्र मनादे आं, तेरा ही दित्ता खांदे हा, जद तू ही बुलांदी हे दाती असी दौड़े चले आने आ, सजा है दरबार दरबार मेरी दाती दा.आदि भजनों से भक्तिरस बिखेरा। पंडित भूपिदर गौतम ने बताया कि मां की भक्ति व पूजा करने से मन को शांति मिलती है। नवदुर्गा के अलग-अलग रूपों की आराधना, दुर्गा स्तुति से दुर्गा माता प्रसन्न होकर अपने भक्तों पर कृपा करती हैं। जो भी भक्त सच्चे मन से दरबार में आता है, उसकी समस्त कामनाएं पूर्ण होती हैं। माता की भक्ति से रोग और शोक नष्ट होते हैं। महामाई की भक्ति से मन शांत रहता है। मन शांति से ही सुख की प्राप्ति होती है। उन्होंने कहा कि हमें प्रतिदिन प्रभु के नाम का सुमिरन करना चाहिए।