विद्या बाहर से और ज्ञान अंदर से प्राप्त होता है: गौतम

। श्री सनातन धर्म शिव मंदिर में आयोजित श्री शिव महापुराण की कथा में शिव महिमा एवं लीलाओं का वर्णन करते हुए पंडित पवन गौतम ने कहा कि शिवपुराण की कथा से शरीर एवं मन की शुद्धि होती है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 03 Aug 2021 03:59 PM (IST) Updated:Tue, 03 Aug 2021 03:59 PM (IST)
विद्या बाहर से और ज्ञान अंदर से प्राप्त होता है: गौतम
विद्या बाहर से और ज्ञान अंदर से प्राप्त होता है: गौतम

संवाद सहयोगी, मोगा

श्री सनातन धर्म शिव मंदिर में आयोजित श्री शिव महापुराण की कथा में शिव महिमा एवं लीलाओं का वर्णन करते हुए पंडित पवन गौतम ने कहा कि शिवपुराण की कथा से शरीर एवं मन की शुद्धि होती है। शुद्ध मन से भक्ति और भक्ति से निर्मल ज्ञान की प्राप्ति होती है।

उन्होंने कहा कि आत्म शुद्धि के बिना प्राणी को ज्ञान की प्राप्ति होना संभव नहीं है। ज्ञान इंसान के भीतर से बाहर आता है। ज्ञानी जीव को हर स्थान पर हर रूप में ईश्वर नजर आते हैं । कथा का वर्णन करते हुए पंडित ने कहा एक बार राजा जनक की सभा में अष्टावक्र जी पहुंचे जिन्हें देखकर सभा में बैठे हुए समस्त विद्वान लोग हंसने लग पड़े। कुछ समय बाद जब उन सभी विद्वानों ने हंसना बंद किया तो उनको देखकर अष्टावक्र जी खुद स्वयं हंसने लग गए। राजा जनक ने जब अष्टावक्र को हंसते हुए देखा तो उसका कारण पूछा। अष्टावक्र ने कहा कि हे राजन जिन्हें तुम ज्ञानी समझ रहे हो और सभा में उच्च आसन पर बिठा रखा है यह सभी ज्ञानी नहीं है विद्वान हैं। विद्वान दुनिया की वस्तुओं को अपनी विद्या द्वारा देखता है उन्हें आत्मा का ज्ञान नहीं होता है ,यह सभी लोग मेरे हाड़ मांस से निर्मित शरीर को देख रहे हैं परन्तु मेरी आत्मा को नहीं। जो आत्मा परमात्मा के अंश के रूप इन सभी में विराजमान है वही आत्मा मेरे शरीर में भी है। ज्ञानी लोग नाशवान शरीर को नहीं आत्मा को देखते हैं और यह विद्वान लोग सभी मेरे शरीर को देख रहे हैं आत्मा को नहीं। ज्ञान जैसे कुएं से पानी निकलता है ऐसे प्राणी के भीतर से पैदा होता है। विद्या तालाब के पानी की तरह बाहर से आती हैं। सुख संग्रह करने में या भोगों को भोगने में नहीं सच्चा सुख त्याग व ज्ञान से प्राप्त होता है। इस अवसर पर महिला संकीर्तन मंडल द्वारा भजनों से भगवान शिव की महिमा का वर्णन किया गया।

chat bot
आपका साथी