मेयर चुनाव के बाद जिले में हरजोत का कद बढ़ा
मोगा अपनी करीबी पार्षद नीतिका भल्ला को नगर निगम मोगा मेयर की ताजपोशी कराने के बाद जिले की राजनीति में विधायक डा. हरजोत कमल का कद पार्टी में बढ़ा है। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि विधानसभा चुनाव से पहले जिले को नया जिलाध्यक्ष मिलना है। कार्यकारी अध्यक्ष महेशइंदर सिंह का कार्यकाल समाप्त हो चुका है।
जागरण संवाददाता, मोगा
अपनी करीबी पार्षद नीतिका भल्ला को नगर निगम मोगा मेयर की ताजपोशी कराने के बाद जिले की राजनीति में विधायक डा. हरजोत कमल का कद पार्टी में बढ़ा है।
कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि विधानसभा चुनाव से पहले जिले को नया जिलाध्यक्ष मिलना है। कार्यकारी अध्यक्ष महेशइंदर सिंह का कार्यकाल समाप्त हो चुका है। निकाय चुनाव के दौरान प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने पहले रहे जिलाध्यक्षों को ही नए अध्यक्ष के चुनाव तक अपने पद पर बने रहने की अनुमति दी थी। माना जा रहा है कि जिला कार्यकारिणी में भी डा. हरजोत कमल का दबदबा कायम रह सकता है।
गौरतलब है कि छात्र राजनीतिक से कांग्रेस की सक्रिय राजनीति व बाद में विधायक बनने के बाद डा. हरजोत कमल ने जिस तरह से अपनी नई व युवा टीम खड़ी कर सक्रियता बढ़ाई है, उसके परिणाम अकाली दल बहुल मोगा जिले में दिख रहे हैं। कई दशक से जिले की राजनीति में अकाली दल का वर्चस्व रहा है, हालांकि साल 2017 के चुनाव में अकाली दल के खिलाफ लहर में बाघापुराना व धर्मकोट में भी कांग्रेस के विधायक बने। मगर, बाघापुराना के कांग्रेस विधायक दर्शन सिंह बराड़ व धर्मकोट के कांग्रेस विधायक सुखजीत सिंह काका लोहगढ़ अपने विधानसभा क्षेत्र तक ही सीमित रहे, जबकि डा. हरजोत कमल को पिछले तीन सालों में जिले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की दो बड़ी रैलियों में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां मिली थीं। दोनों ही रैलियां निहालसिंह वाला विधानसभा क्षेत्र में हुई, इनमें डा. हरजोत की भूमिका महत्वपूर्ण रही।
इस बार मनपसंद मेयर बनवाना डा. हरजोत कमल के लिए बड़ी चुनौती बन गया था, परंतु बहुमत उनके साथ था। हालांकि पार्टी में उनके विरोधी भी कम नहीं थे, इन तमाम चुनौतियों के बीच न तो पार्षदों को कहीं ले जाकर रखा गया, न खरीद-फरोख्त हुई। मेयर के लिए वीरवार को हुए मतदान के दौरान भी सभी पार्षद अकेले-अकेले मतदान के लिए पहुंचे थे, बड़े ही शांतिप्रिय माहौल में मतदान हुआ।
मोगा में निगम से पहले कौंसिल के चुनावों का पुराना इतिहास रहा है कि अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए पार्षदों की खरीद-फरोख्त होती थी। उन्हें चुनाव से पहले अलग रखा जाता था। कई मौकों पर तो पार्षदों को दूसरे शहरों में घूमने के लिए भेजा गया था। चुनाव से कुछ देर पहले ही वापस लाया जाता था। मगर, इस बार मेयर के चुनाव में ऐसा कुछ भी नहीं था, ये बड़ी बात थी। यही बात पार्टी में डा. हरजोत कमल का कद बढ़ाने का काम करेगी।
सूत्रों का कहना है कि आने वाले कुछ समय में जिले में कई कमेटियां व अन्य संवैधानिक पदों पर विधानसभा चुनाव से पहले बदलाव हो सकता है। इसमें भी कई दिग्गजों की पावर हरजोत के पसंदीदा छीन सकते हैं।