चार सौ अनफिट ट्रैक्टर ट्रालियां व कैंटर दौड़ रहे हैं मोगा की सड़कों पर

मोगा शहर की सड़कों पर दौड़ रहे कई हजार अनफिट खस्ताहाल व ओवरलोड वाहन सड़क हादसों का बड़ा कारण बन रहे हैं। मगर इनकी फिटनेस की जांच तक नहीं की जाती है। सचिव आरटीए का दफ्तर फरीदकोट में होने के नाते यहां पर मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर (एमवीआइ) सप्ताह में सिर्फ दो दिन ही पहुंचते हैं उसमें भी फिटनेस का फोकस ज्यादातर स्कूल बसों पर ही रहता है। शहर में कई हजार की संख्या में दौड़ते वाहनों की फिटनेस को न तो मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर चेक करते हैं और न ही ट्रैफिक पुलिस।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 25 Nov 2020 07:21 PM (IST) Updated:Thu, 26 Nov 2020 07:30 AM (IST)
चार सौ अनफिट ट्रैक्टर ट्रालियां व कैंटर दौड़ रहे हैं मोगा की सड़कों पर
चार सौ अनफिट ट्रैक्टर ट्रालियां व कैंटर दौड़ रहे हैं मोगा की सड़कों पर

सत्येन ओझा, मोगा

शहर की सड़कों पर दौड़ रहे कई हजार अनफिट खस्ताहाल व ओवरलोड वाहन सड़क हादसों का बड़ा कारण बन रहे हैं। मगर, इनकी फिटनेस की जांच तक नहीं की जाती है। सचिव आरटीए का दफ्तर फरीदकोट में होने के नाते यहां पर मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर (एमवीआइ) सप्ताह में सिर्फ दो दिन ही पहुंचते हैं, उसमें भी फिटनेस का फोकस ज्यादातर स्कूल बसों पर ही रहता है। शहर में कई हजार की संख्या में दौड़ते वाहनों की फिटनेस को न तो मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर चेक करते हैं और न ही ट्रैफिक पुलिस।

गौरतलब है कि कृषि कार्यो के प्रयोग में आने वाली ट्रैक्टर ट्रालियों की मोगा में सबसे बड़ी यूनियन बनी हुई है। ट्रैक्टर ट्राली यूनियन एफसीआइ गोदाम के बराबर में है, जिसमें करीब 350 से ज्यादा ट्रैक्टर ट्रालियां संबंद्ध हैं। इनमें से अधिकांश ट्रैक्टर ट्रालियां बेहद खस्ताहाल हैं। मगर, कामर्शियल कार्यो में उनका प्रयोग किया जा रहा है। ये ट्रैक्टर ट्रालियां दोहरे खतरे का कारण बनी हुई हैं। एमवीआइ आफिस सूत्रों का कहना है कि ट्रैक्टर ट्राली यूनियन में 80 प्रतिशत से ज्यादा ट्रैक्टर ट्रालियां अनफिट हैं, बावजूद राजनीतिक सरंक्षण में ये ट्रैक्टर ट्रालियां ओवरलोड वाहन बनकर शहर की सड़कों पर दौड़ती हैं। यही स्थित कैंटर यूनियन की भी है, यूनियन में करीब साढे़ चार सौ कैंटर हैं, उनमें भी बड़ी संख्या में ये अनफिट हैं और तीन-चार राज्यों में माल ढोते हैं तथा हादसे का कारण भी बनते हैं।

पुलिस के आंकड़े बताते हैं कि पिछले तीन सालों में ट्रैक्टर ट्रालियों के कारण 68 हादसे हुए हैं। जिनमें से ज्यादातर हादसे धुंध के दौरान हुए हैं। खास बात ये है कि इन ट्रैक्टर ट्रालियों में फाग लाइट, हेड लाइट, बैक लाइट, पार्किंग लाइट, कलर रिफ्लेक्टर जैसी सुविधा तक नहीं होती हैं। अकेले ट्रैक्टर ट्रालियां ही नहीं बल्कि ग्रामीण क्षेत्र में दौड़ने वाली लगभग 100 से ज्यादा की संख्या में निजी मिनी बसों में भी 70 प्रतिशत से ज्यादा अनफिट हैं। इसके बावजूद न तो एमवीआइ का चाबुक इन बसों पर चलता है और न ही ट्रैफिक पुलिस की नजर इन पर रहती है। ट्रैफिक पुलिस का फोकस पूरी तरह से दोपहिया वाहनों पर ही रहता है, इसका नतीजा ये रहता है कि अनफिट वाहन बेखौफ सड़कों पर दौड़ रहे हैं।

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फिटनेस जांचने की व्यवस्था

मोगा जिला आरटीए फरीदकोट से संबद्ध हैं। मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर भूपिदर सिंह का सप्ताह में दो दिन का समय निर्धारित है लेकिन वे यहां कम ही दिखते हैं। उनका काम एक क्लर्क कुछ दलालों के माध्यम से करता देखा जा सकता है। जिन वाहनों को फिटनेस सर्टिफिकेट दिया भी जाता है, वह कथित रूप से चेकिग के बिना सेटिग के खेल से दिया जाता है।

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रिफ्लेक्टर लगा रहे हैं : डीएसपी

डीएसपी ट्रैफिक रमनदीप सिंह भुल्लर का कहना है कि ट्रैक्टर ट्रालियों, कैंटरों की लगातार चेकिग की जाती है। अभी सर्दी का मौसम शुरू होते ही उन पर रिफ्लेक्टर लगाने का अभियान भी शुरू किया जा रहा है।

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'कैंटर यूनियन मोगा में करीब 150 के करीब कैंटर 20-25 साल से भी ज्यादा पुराने हैं, अनफिट हैं, तीन से चार राज्यों में माल ढुलाई का काम करते हैं। अध्यक्ष रहते हुए कैंटर मालिकों को काफी समझाने का प्रयास किया, लेकिन लालच के चलते कोई बात मानने को तैयार नहीं है। विभाग भी कार्रवाई नहीं करता है।

दिलबाग सिंह, पूर्व अध्यक्ष, कैंटर यूनियन मोगा।

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