केंद्र सरकार की जमीन पर कब्जे की साजिश बेनकाब

-प्रशासन ने ईमानदारी से की कार्रवाई तो कई बड़े चेहरे होंगे बेनकाब रिकार्ड रेवेन्यू विभाग के पास पहुंचा -शहर में ही नगर निगम की एक दो एकड़ जमीन पर एक बड़ा ग्रुप बना चुका है कॉलोनी फोटो-50

By JagranEdited By: Publish:Sat, 07 Dec 2019 10:26 PM (IST) Updated:Sun, 08 Dec 2019 06:10 AM (IST)
केंद्र सरकार की जमीन पर कब्जे की साजिश बेनकाब
केंद्र सरकार की जमीन पर कब्जे की साजिश बेनकाब

सत्येन ओझा, मोगा : हाल ही में हाईवे पर लगभग 10 करोड़ रुपये से ज्यादा कीमत की केंद्र सरकार की जमीन पर रातों रात कब्जे के प्रयास को बेनकाब करने के बाद रेवेन्यू विभाग ने शहर के बग्गेयाना छप्पड़ के निकट केंद्र सरकार की करोडों रुपये की एक और जमीन पर फर्जी दस्तावेज के आधार कब्जे की कोशिश को बेनकाब किया है। सब रजिस्ट्रार ने धोखाधड़ी के इस मामले की लिखित रिपोर्ट डिप्टी कमिश्नर को सौंप दी है। रेवेन्यू विभाग के हाथ शहर में केंद्र सरकार व नगर निगम की बेशकीमती जमीनों पर कब्जे का सुबूत भी लगे हैं। हाईवे पर बिन बैन के सामने जिस जमीन पर कब्जे की साजिश को प्रशासन ने बेनकाब किया है, उसमें एक बड़ी हस्ती के नाम रजिस्ट्री के डॉक्यूमेंट भी रेवेन्यू विभाग के हाथ लगे हैं। प्रशासन ने ईमानदारी से कार्रवाई की तो कई बड़ी राजनीतिक हस्तियों व भू माफियाओं के चेहरे बेनकाब हो सकते हैं।

अजमेर सिंह पुत्र मंगल सिंह व चमकौर सिंह पुत्र प्रीतम सिंह निवासी बग्गेयाना बस्ती अगवाड़ हाकम का पुरानी घल्लकलां रोड ने तहसीलदार मोगा के पास आवेदन किया था कि बग्गेयाना छप्पड़ के निकट उनकी जमीन है, जिसका उन्हें कब्जा दिलाया जाए। शिकायत के आधार पर तहसीलदार ने संबंधित पटवारी से जमीन की रिपोर्ट देने को कहा गया था। जमीन मोगा जीत सिंह पटवार सर्किल में थी, कुछ भू माफियाओं को जब पता चला कि पटवारी को रिपोर्ट देनी है तो उस पर जमीन रेड लाइन में दिखाने का दबाव बनाना शुरू कर दिया, लेकिन पटवारी ने रिपोर्ट नहीं दी। बाद में भू माफियाओं ने मोगा महला सिंह पटवार सर्किल के पटवारी निरबैर सिंह को रिपोर्ट देने के लिए तैयार कर लिया, जबकि दूसरे सर्किल की रिपोर्ट पटवारी देने के लिए अधिकृत नहीं था।

सब रजिस्ट्रार की ओर से डीसी को भेजी रिपोर्ट में कहा गया है कि पटवारी हलका मोगा महला सिंह-1 निरबैर सिंह केंद्र सरकार की मालिकी वाली जमीन को लाल लकीर के बीच दिखाकर रजिस्ट्री तस्दीक कराना चाहता था। रकबे को लाल लकीर के बीच होने की तस्दीक पटवारी निरबैर सिंह ने वार्ड संख्या-32 की पार्षद जसमेल कौर गिल से भी करा दी थी। जबकि ये पटवारी इस हलके की रिपोर्ट करने के लिए अधिकृत नहीं था, क्योंकि ये हलका मोगा जीत सिंह के पटवार सर्किल में आता था। पटवारी की रिपोर्ट पर शक होने पर तहसीलदार ने नायब तहसीलदार को खुद मौके की जांच के लिए भेजा। नायब तहसीलदार की जांच में पता चला कि उपरोक्त रकबे की मालिक केंद्र सरकार है, जो नंबर खसरा 1004, 1005, 1006 में पड़ती है। डीसी को सौंपी रिपोर्ट में कहा गया है कि पटवारी ने गलत रिपोर्ट करके धोखे से रजिस्ट्री कराने की कोशिश की थी। समय रहते पड़ताल व जमाबंदी की नकल निकलवाकर पूरा मामला साफ हो गया। यहां हो चुके हैं कब्जे

-केन्द्र सरकार की मालिकी वाले तियां वाले छप्पड़ निकट टेकसिंह पार्क वाली जमीन को भी इसी प्रकार की हेराफेरी से बेचा जा चुका है।

-मल्लनशाह रोड पर नगर निगम की दो एकड़ जमीन पर एक बड़े ग्रुप ने निजी कॉलोनी ही बसा दी है।

-अमृतसर रोड पर ओल्ड पोस्टमार्टम हाउस वाली केंद्र सरकार की जमीन को भी हेराफेरी से बेचा जा चुका है।

-पुराना दशहरा रोड पर भी केंद्र सरकार की जमीन के कुछ हिस्से की हेराफेरी से रजिस्ट्री की गई है। रिपोर्ट के आधार पर होगी कार्रवाई : डीसी

डिप्टी कमिश्नर संदीप हंस का कहना है कि जांच रिपोर्ट रूटीन में मिली होगी, अभी चेक नहीं कर पाया हूं, रिपोर्ट में जो भी तथ्य सामने आए हैं, उसके आधार पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

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