श्री सनातन धर्म हरि मंदिर में की दुर्गा स्तुति
श्री सनातन धर्म हरि मंदिर में चैत्र नवरात्र पर जारी दुर्गा स्तुति की कथा के दौरान पंडित पवन गौड़ ने कहा नवरात्र व्रत (पूजा) सतयुग से ही चली आ रही है।
संवाद सहयोगी, मोगा : श्री सनातन धर्म हरि मंदिर में चैत्र नवरात्र पर जारी दुर्गा स्तुति की कथा के दौरान पंडित पवन गौड़ ने कहा नवरात्र व्रत (पूजा) सतयुग से ही चली आ रही है। प्रमाण के लिए कथा अनुसार महाराज श्राद्ध देव मनु के कोई संतान नहीं थी। यज्ञ से एक लड़की हुई। जबकि यज्ञ बेटे के लिए किया था। गुरु वशिष्ठ ने मंत्र बल से उसे लड़की से लड़का बना दिया। परंतु विधि का विधान प्रबल सौलह वर्ष की आयु में वह लड़का फिर से लड़की बन गया। ब्रह्माजी के मानस पुत्र अत्रि ऋषि हुए, अत्रि जी के पुत्र कश्यप हुए, कश्यप के अदिति नाम की पत्नी से आदित्य (सूर्य) नाम के पुत्र हुए सूर्य के श्राद्ध देव महाराज मनु हुए। उन्हीं महाराज श्राद्ध देव मनु ने महादेव की महाशक्ति (शिवा) भगवती का यज्ञ किया। शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से नवमी तक निराहार रहते हुए भगवती की रात्रि में आराधना की थी। इस नवमी के दिन ही सतयुग और संवत का शुभारंभ हुआ था। इसलिए इस नवमी को महानवमी कहा जाता है। नवमी की रात्रि तक व्रत उपवास पूजा-पाठ व हवन करते हुए दशमी को समापन करना चाहिए। जो महानवमी है उसी नवमी के दिन त्रेता युग में भगवान श्री राम जी का अवतार हुआ। उन्होंने अपने और अपने भक्तों के चरित्रों से धर्म और मर्यादाओं का ज्ञान दिया है। श्री राम के अवतार के बाद यह नवमी रामनवमी के नाम से जाना जाने लगा।