शहर में 13 साल से नहीं हुई सीवरेज लाइन की डी-सिल्टिंग
। शहर में साल 2008 व 2011 में सीवरेज लाइन बिछाने के बाद नगर निगम डी सिल्टिंग कराना भूल गया था।
सत्येन ओझा.मोगा
शहर में साल 2008 व 2011 में सीवरेज लाइन बिछाने के बाद नगर निगम डी सिल्टिंग कराना भूल गया था। इस कारण पूरे शहर में सीवरेज व्यवस्था ध्वस्त हो गई थी। इस बार मानसून में शहर के वे हिस्से भी डूबे नजर आए जहां इससे पहले कभी भी जलभराव नहीं हुआ था।
पिछले दो महीने से डी सिल्टिग मुहिम में जुटे जूनियर इंजीनियर शर्मा सिंह का दावा सही माना जाए तो कुल सीवरेज लाइन में एक तिहाई हिस्सा सिल्ट से भरा मिला है। एक हिस्से का सीवरेज का पानी दूसरे हिस्से में पहुंच ही नहीं रहा था, जिससे शहर में जगह-जगह सीवरेज लाइन उफन रही थी। शहर में लगे 27 एमएलडी क्षमता के (एसटीपी) सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट भी शहर के सीवरेज का भार नहीं झेल पा रहा था। निगम ने अब वाटर एंड सैनिटेशन विभाग के माध्यम से शहर में करीब 30 करोड़ रुपये की लागत का 30 एमएलडी क्षमता का एक और सीवरेज प्लांट लगाने का प्रस्ताव सरकार को भेजा है। कैसे हुए हालात विस्फोटक
शहर में साल 2000 में तत्कालीन अकाली-भाजपा सरकार के शिक्षा मंत्री जत्थेदार तोता सिंह के प्रयासों से पूरे शहर में 17 करोड़ रुपये की लागत से सीवरेज लाइन बिछाई गई थी। ये काम साल 2008 में पूरा हुआ। शहर के कुछ हिस्से में सीवरेज लाइन डलने से रह गई उस हिस्से में सीवरेज लाइन साल 2011 में डाली गई थी। सीवरेज डाने के बाद नगर निगम ने डी सिल्टिंग कराना ही भूल गया। निगम के सीवरेज विभाग के जूनियर इंजीनियर शर्मा सिंह के अनुसार सीवरेज लाइन डालने के बाद आज तक डी सिल्टिग हुई ही नहीं थी, यही वजह है कि जिस सीवरेज टैंक को खोलते हैं वहां से कई-कई ट्रैक्टर सिल्ट बाहर निकल रही है। अमृतसर रोड पर स्थिति ज्यादा खराब
शहर में सीवरेज की सबसे ज्यादा खराब हालत अमृतसर रोड, जीरा रोड के बीच के हिस्से में थी। इसमें माडल कालोनी, दशमेश नगर, टीचर्स कालोनी आदि शहर का पाश एरिया शामिल है। सीवरेज लाइन की डी सिल्टिंग न होने से सिल्ट पाइपों में जम गई थी। सीवरेज का पानी पीने के पानी के साथ लोगों के घरों तक पहुंच रहा था, जब भी लोग हंगामा करते थे तो निगम उसी हिस्से में सीवरेज की सफाई कर काम चला लेता था।
इस बार मानसून के दिनों में शहर में हालात काफी ज्यादा बिगड़े तो निगम कमिश्नर सुरिदर सिंह, सुपरिटेंडेंट इंजीनियर आपरेशन एंड मेंटीनेंस किशोर बंसल ने खुद शहर भर में सीवरेज सिस्टम की मौके पर पड़ताल की। दो महीने पहले पूरे शहर के सीवरेज के डी-सिल्टिंग का अभियान निगम की कई टीमें बनाकर शुरू किया गया। अभी ये काम अमृतसर रोड, जीरा रोड, बस्ती गोबिंदगढ़ क्षेत्र में चल रहा है क्योंकि सबसे ज्यादा विस्फोटक हालत इसी क्षेत्र में थे। हर जगह सीवरेज लाइन सिल्ट से जाम मिल रही। सुपर सक्कर मशीन की मदद से अब सीवरेज लाइन के रूटमैप को ध्यान में रखकर डी सिल्टिंग किया जा रहा है, ताकि सीवरेज की पूरी तरह से सफाई हो सके। एसटीपी प्लांट नहीं झेल पा रहा सीवरेज का दबाव
सुपरिंटेंडेंट इंजीनियर किशोर बंसल के अनुसार वर्तमान में सीवरेज को ट्रीट करने वाला सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट 27 एमएलडी क्षमता का है जो जरूरत के हिसाब से काफी कम है। शहर की आबादी को देखते हुए कम से कम 50 एमएलडी क्षमता का सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट होना चाहिए, इन्हीं हालातों को देखते हुए 30 एमएलडी क्षमता का नया ट्रीटमेंट प्लांट बुक्कनवाला रोड पर पहले से लगे प्लांट के नजदीक ही लगाने का प्रस्ताव बनाकर सरकार को भेजा है। उन्होंने बताया कि इस प्लांट के लगने में कम के कम तीन साल लगेंगे। लेकिन जिस प्रकार से डी सिल्टिंग का काम चल रहा है, इसे पूरा करने में करीब दो महीने का समय और लगेगा, लेकिन एक बार सीवरेज लाइन पूरी तरह सिल्ट से खाली होने के बाद शहर को बड़ी राहत मिल जाएगी।