दूध, लस्सी, जल व शहद के साथ शिवलिग का अभिषेक

। सावन माह भगवान शिव का अति प्रिय महीना है। श्रावण मास के हर सोमवार को भक्त भोले बाबा की पूजा-अर्चना कर शिवलिग का दूध के साथ अभिषेक करते हैं।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 02 Aug 2021 04:01 PM (IST) Updated:Mon, 02 Aug 2021 04:01 PM (IST)
दूध, लस्सी, जल व शहद के साथ शिवलिग का अभिषेक
दूध, लस्सी, जल व शहद के साथ शिवलिग का अभिषेक

तरलोक नरूला, मोगा

सावन माह भगवान शिव का अति प्रिय महीना है। श्रावण मास के हर सोमवार को भक्त भोले बाबा की पूजा-अर्चना कर शिवलिग का दूध के साथ अभिषेक करते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार श्रावण मास में भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।

सोमवार को शहर में शिवभक्तों ने शिवालय में माथा टेकने के बाद शिवलिग का जल, दूध, लस्सी, शहद आदि के साथ अभिषेक किया। बम बम भोले, ओम नम: शिवाय, हर हर महादेव के जयकारों से शिवालय गूंज उठे। सावन के महीने में सोमवार का दिन विशेष माना जाता है। सावन के हर सोमवार को शिवालयों में भक्तों का मेला लगा रहता था। प्राचीन सनातन धर्म शिव मंदिर, गीता भवन,मंदिर शिवाला, भारत माता मंदिर, श्री कृष्णा मंदिर, विकास मंदिर आदि शहर के समस्त मंदिरों में भक्तों ने शिवलिग की पूजा कर जल दूध से अभिषेक किया। इस दौरान मंदिर के पुजारियों ने भी भक्तों को कोरोना महामारी को देखते हुए सतर्कता के साथ भगवान की पूजा करने को प्रेरित किया। शहर के अलग अलग मंदिरों में भक्तों ने शिवलिग पर दूध, गंगाजल, जल, दही, शहद आदि से अभिषेक कर पुष्प, फल अर्पित कर महामारी को जड़ से खत्म करने की प्रार्थना की।

भोले बाबा की पूजा फलदायी है

आचार्य जतिदर नारायण झा ने कहा कि भोले बाबा की पूजा पूरे वर्ष फलदायी है लेकिन सावन शिवरात्रि पर भगवान शिव अपने भक्तों पर अति प्रसन्न होते हैं। भगवान शिव ऐसे देव है जो लोटा भर जल से प्रसन्न हो जाते हैं। हमें अपने व्यस्त जीवन के कुछ पल भगवान शिव की भक्ति में लगाना चाहिए।

श्रावण मास में रुद्राभिषेक का महत्व बढ़ जाता है

आचार्य जतिदर झा ने बताया कि रुद्राभिषेक कभी भी किया जाए, यह बड़ा ही शुभ और फलदायी माना गया है। लेकिन सावन में इसका महत्व कई गुणा बढ़ जाता है। शिवपुराण के रुद्र संहिता में बताया गया है कि सावन के महीने में रुद्राभिषेक करना विशेष फलदायी है। रुद्राभिषेक में भगवान शिव का दूध से पवित्र स्नान कराकर पूजा-अर्चना की जाती है। यह सनातन धर्म में सबसे प्रभावशाली पूजा मानी जाती है जिसका फल तत्काल प्राप्त होता है। इससे भगवान शिव प्रसन्न होकर भक्तों के सभी कष्टों का अंत करते हैं और सुख-शांति और समृद्धि प्रदान करते हैं।

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