डीसी संदीप हंस की पहल से 10 गांवों को मिलेगी पराली को आग लगाने से मुक्ति

जिले में पिछले तीन सालों में पराली की आग से होने वाले प्रदूषण में काफी सुधार लाने से उत्साहित डीसी संदीप हंस ने इस बार नीति आयोग से मिली तीन करोड़ की राशि से 20 बेलर खरीदे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 23 Sep 2021 10:23 PM (IST) Updated:Thu, 23 Sep 2021 10:23 PM (IST)
डीसी संदीप हंस की पहल से 10 गांवों को मिलेगी पराली  को आग लगाने से मुक्ति
डीसी संदीप हंस की पहल से 10 गांवों को मिलेगी पराली को आग लगाने से मुक्ति

राज कुमार राजू.मोगा

जिले में पिछले तीन सालों में पराली की आग से होने वाले प्रदूषण में काफी सुधार लाने से उत्साहित डीसी संदीप हंस ने इस बार नीति आयोग से मिली तीन करोड़ की राशि से 20 बेलर खरीदे हैं, ताकि अभी भी जिले में जिन क्षेत्रों में किसान पराली को आग लगा रहे हैं, वहां ये बेलर किसानों को कोआपरेटिव सोसायटी के माध्यम से बहुत ही कम कीमत पर दिए जाएंगे ताकि किसान पराली को आग लगाने के बजाय धान की गांठें बनाकर उसे बिजली बनाने वाली कंपनी को बेच सकें। इससे जहां पराली में आग लगने से बचाव के कारण पर्यावरण को सीधा लाभ मिलेगा, वहीं किसानों को भी पराली से आमदनी होगी, उनकी सांसों में भी जहर के बजाय आक्सीजन घुलेगी।

गौरतलब है कि मोगा जिले के 117 महत्वाकांक्षी जिले की सूची में भारत सरकार के नीति आयोग ने शामिल किया है। विकास में पिछड़े जिलों को मिलने वाली इस सुविधा के तहत नीति आयोग हर बार नए प्रोजेक्ट जिलों को देकर एक टास्क भी देता है। इसी प्रोजेक्ट के तहत मिली तीन करोड़ रुपये से मिली राशि से इस बार डीसी ने 20 बेलर खरीदे हैं, जो खेत की पराली की गांठें तैयार करते हैं। डीसी के प्रयास से जिले के कम से कम 50 से ज्यादा गांवों के किसान पराली को आग लगाना बंद कर चुके हैं। खोसा पांडो व उससे संबंधित सभी पांच गांवों में इस मुहिम के सूत्रधार संत गुरमीत सिंह बने हुए हैं, वे खुद किसानों की पराली खरीदते हैं, उन्हें बेलर भी उपलब्ध कराते हैं। इसी प्रकार से हर साल पराली को आग न लगाने वाले किसानों की संख्या हर साल बढ़ती जा रही है।

पराली को आग लगाने की लगातार हो रही कम संख्या को देखते हुए डीसी संदीप हंस ने इस बार पराली की गांठ बनाने वाले बेलर खरीदने का फैसला लिया, ताकि जिले को पूरी तरह से पराली में आग लगाने से मुक्त किया जा सके।

ऐसे करेंगे प्रयोग

डीसी संदीप हंस ने बताया कि जिले के दस चयनित गांवों की सहकारी सभाओं को दो-दो बेलर दिए जाएंगे। इन गांवों में धान की कटाई के बाद पराली की गांठें बनाने को किसानों को बहुत कम कीमत पर दिया जाएगा। ये पराली बायोमास प्लांट को भेजी जाएंगी। ऐसा करने से 10 गांवों में पराली को आग लगाने की समस्या बिल्कुल खत्म हो जाएगी।

लक्ष्य हासिल करने में मदद मिलेगी

मुख्य खेतीबाड़ी अफसर डा. बलविदर सिंह ने बताया कि खेतीबाड़ी विभाग जिले में शून्य प्रतिशत पराली में आग का लक्ष्य हासिल करने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है, डीसी के प्रयास से इस लक्ष्य को हासिल करने में काफी मदद मिलेगी।

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