तीन बे‍टियों के जज्‍बे से लोग अभिभूत, कोराेना संकट पिता का बन गईं संबल

पंजाब केे मोगा में बेटियों के जज्‍बे ने लोगों को अभिभूत कर दिया है। कोरोना में पिता के कारोबार पर संकट आया तो वे संबल बन गईं। वेपिता के रेस्‍टोरेंट पर काम कर उसे संभाल रही हैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Sat, 11 Jul 2020 08:03 AM (IST) Updated:Sat, 11 Jul 2020 10:28 AM (IST)
तीन बे‍टियों के जज्‍बे से लोग अभिभूत, कोराेना संकट पिता का बन गईं संबल
तीन बे‍टियों के जज्‍बे से लोग अभिभूत, कोराेना संकट पिता का बन गईं संबल

मोगा, [अश्विनी शर्मा/हैप्पी गुप्ता]। बेटियां काम हो या जिम्‍मेदारी उठाने का जज्‍बा किसी भी बात में पीछे नहीं रहती हैं। संकट आया है, वे परिवार के साथ कंधे से कंधे मिलाकर खड़ी हाे जाती हैं। यहां तीन बेटियों के इसी तरह के जज्‍बे ने लोगों को अभिभूत कर दिया है। ये तीन बेटियां कोरोना संकट में पिता के कारोबार पर खतरा आया ताे उनका संबंल बन गईं। पिता के रेस्‍टोरेंट में काम करने वाले कोरोना के कारण चले गए तो तीनों ने मोर्चा संभाल लिया।

जुनून : लॉकडाउन में बंद रहे रेस्टोरेंट के कर्मी लौटे गृह राज्य, फिर बेटियों ने संभाला मोर्चा

मोगा में हरियाणा के जिला फरीदाबाद के बदरपुर रोड स्थित डबुआ कॉलोनी के गली नंबर 58 के रहने वाले ओमप्रकाश की 16 वर्षीय बेटी रोशनी शर्मा व उसकी दो छोटी बहनें। रोशनी शर्मा आजकल हर सुबह अपने पिता के साथ मोगा में चैंबर रोड स्थित ओम कॉर्नर रेस्टोरेंट पर पहुंच जाती है। दिनभर ग्राहकों को छोले-भटूरे परोसती है। उसके इस काम को देखते हुए ग्राहकों सहित आसपास के दुकानदारों का कहना है कि रोशनी सचमुच अपने पिता के लिए रोशनी बनी है।

दसवीं में पढऩे वाली रोशनी ने उठाया साहसिक कदम, संभाला कामकाज, दो छोटी बहनें भी करती हैं मदद

कोरोना के मद्देनजर ओमप्रकाश के रेस्टोरेंट में काम करने वाले पांच कर्मचारी अपने गृह राज्यों को लौटने के बाद वापस नहीं आए। ऐसे में पिता का हाथ बंटाने में निजी स्कूल में दसवीं में पढऩे वाली रोशनी आगे आई। बड़ी बहन का हौसला देखकर उसकी आठवीं कक्षा में पढऩे वाली छोटी बहन प्रिया और पांचवीं में पढऩे वाली बहन पलक भी रोशनी के कदम से कदम मिलाकर जरूरत अनुसार उसकी मदद करती हैं।

ऑनलाइन क्लासेज भी कर रहीं ज्वाइन

रोशनी शर्मा का कहना है कि वह अपने पिता के साथ काम करते हुए बेहद खुश है। दिन में रेस्टोरेंट में काम करने के बाद शाम को जब घर लौटती है, तो ऑनलाइन ट्यूशन क्लास पढ़ती है, ताकि उसकी पढ़ाई में किसी तरह की रूकावट पैदा न हो।

बेटियों का काम देख भर आती है आंखें

पिता ओमप्रकाश ने बताया कि फरीदाबाद से वह पत्नी रंजना शर्मा व परिवार सहित आठ साल पहले मोगा आए थे। पत्नी गृहिणी है। वह तभी से रेस्टोरेंट चला रहे हैं। लॉकडाउन के चलते बाहरी राज्यों के पांच मजदूर एवं कर्मी घर चले गए और रेस्टोरेंट बंद रहा। यह देख बेटी रोशनी शर्मा ने उन्हें हौसला दिया और साथ काम करने की बात कही। बेटी की बातों में आकर उन्होंने फिर काम शुरू किया और अब देखते ही देखते रोशनी ने बखूबी काम संभाल लिया है। यह देख उनकी आंखें भर आती हैं।

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