आनर किलिंग : सुहाग के जोड़े में बहू को बेटे के साथ एक ही चिता पर लिटाकर किया विदा

। अपनी झूठी शान के चलते चाचाओं व उनके बेटों ने सिर्फ प्रेम की हत्या ही नहीं की बेटी के मां-बाप की सहमति व विश्वास की भी हत्या कर डाली।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 18 Oct 2021 10:40 PM (IST) Updated:Mon, 18 Oct 2021 10:40 PM (IST)
आनर किलिंग : सुहाग के जोड़े में बहू को बेटे के साथ  एक ही चिता पर लिटाकर किया विदा
आनर किलिंग : सुहाग के जोड़े में बहू को बेटे के साथ एक ही चिता पर लिटाकर किया विदा

सत्येन ओझा.राजकुमार राजू.मोगा

अपनी झूठी शान के चलते चाचाओं व उनके बेटों ने सिर्फ 'प्रेम' की हत्या ही नहीं की, बेटी के मां-बाप की सहमति व विश्वास की भी हत्या कर डाली। अपने चाचा व चचेरे भाइयों के हाथों मौत के घाट उतारी गई सुमन के प्रेम विवाह को उसके पिता कालीराम व मां ने सहमति दे दी थी, लेकिन उसके चाचा व चचेरे भाइयों ने अपनी झूठी शान दिखाने के लिए अपने हाथों को खून से रंग डाला।

भले ही चाचा व उनके बेटों ने अपने ही परिवार की लाडली को जीते जी मार डाला, लेकिन युवक के स्वजन सुमन की जिदगी तो नहीं बचा पाए, लेकिन मौत के बाद उसे पति रोहताश के साथ एक ही चिता पर सुहाग के जोड़े में संस्कार कर उनके प्रेम को जिदा रखा है।

पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बेटी सुमन के समझाने पर पिता कालीराम व उनकी मां रोहताश के साथ शादी के लिए सहमत हो गए थे, इसकी बड़ी वजह थी कि रोहताश भले ही माली जाति का था,लेकिन सुमन की प्रेरणा से ग्रेजुएट करने के बाद वह फलों की क्रास ब्रीडिग कर अपने करियर की नई दुनिया बसा रहा था। अबोहर जिले में किन्नू काफी मात्रा में होते हैं, लेकिन रोहताश जिस नर्सरी पर काम कर रहा था वह हर सीजन के फलों को तैयार करने वाली थी। रोहताश अपने इस काम में काफी आगे बढ़ गया था। उसके बड़े भाई विक्रम की मानें तो रोहताश जिदा रहता तो उसके द्वारा तैयार की जा रही नर्सरी पंजाब के किसानों को भी नई दिशा देती।

मृतका सुमन भले ही जट्ट सिख परिवार से संबंध रखती थी लेकिन वह अपने प्रेमी रोहताश की योग्यता पर भरोसा करती थी। यही वजह है कि उसने अपने पिता व मां को रोहताश के साथ शादी के लिए तैयार कर लिया था। इस मामले में एफआइआर दर्ज कराने वाले रोहताश के भाई विक्रम ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि इसी कारण उन्होंने एफआइआर में सुमन के पिता कालीराम व उनका मां का नाम नहीं लिखवाया क्योंकि वे शादी के खिलाफ नहीं थे, न ही इस हत्याकांड में उनकी कोई भूमिका रही। कालीराम बीमार चल रहे हैं वह बिस्तर पर हैं। उन्होंने अपने भाइयों को भी बहुत समझाने का प्रयास किया लेकिन वे नहीं माने, उनके जीते जी उनकी बेटी को उनसे छीन लिया। कालीराम के कोई बेटा नहीं है,सिर्फ बेटियां हैं। बेटियों को उन्होंने खूब पढ़ाया-लिखाया और बेटों की तरह पाला था। यही वजह है कि सुमन ने जब रोहताश के साथ शादी के बाद की तो पहले तो पिता नहीं माने, लेकिन जब उसने रोहताश के काम व उसकी योग्यता की बात की तो वे सहमत हो गए थे।

इस दोहरे कत्लकांड के बावजूद रोहताश के परिवार ने पूरा संयम बरता, अपनी बहू के अंतिम संस्कार में सुहाग के जोड़े में उसे विदा किया। साथ ही एफआइआर में सुमन के पिता व मां को दूर रखा। एफआइआर दर्ज कराने वाले विक्रम का कहना है कि उनका परिवार यही चाहता है जो कसूरवार हैं, उन्हीं को सजा मिले, निर्दोष को वे नहीं फंसाना चाहते हैं, परिवार का जवान बेटा खोकर भी वे किसी के साथ अन्याय करने के पक्ष में नहीं है। उधर सुमन के चाचा व उनके बेटे जो एक दिन पहले तक झूठी शान की आग में तप रहे थे, जघन्य हत्याकांड के बाद छुपने को मजबूर हैं। हिरासत में लिए गए तीन चाचाओं को साथ लेकर पुलिस अब तक कई जगह दबिश दे चुकी है लेकिन शेष आरोपियों का सुराग नहीं लग पा रहा है।

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