खोखों पर छह साल से हो रही राजनीति पर निगम कमिश्नर अनीता दर्शी ने खींची लक्ष्मण रेखा

पुरानी दानामंडी के खोखों को लेकर पिछले छह साल से हो रही सियासत पर आखिरकार निगम कमिश्नर अनीता दर्शी ने लक्ष्मण रेखा खींच दी।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 17 Jun 2021 10:11 PM (IST) Updated:Thu, 17 Jun 2021 10:11 PM (IST)
खोखों पर छह साल से हो रही राजनीति पर  निगम कमिश्नर अनीता दर्शी ने खींची लक्ष्मण रेखा
खोखों पर छह साल से हो रही राजनीति पर निगम कमिश्नर अनीता दर्शी ने खींची लक्ष्मण रेखा

जागरण संवाददाता.मोगा

पुरानी दानामंडी के खोखों को लेकर पिछले छह साल से हो रही सियासत पर आखिरकार निगम कमिश्नर अनीता दर्शी ने लक्ष्मण रेखा खींच दी। उन्होंने आदेश दिया है कि खोखा आवंटन के लिए जिन लोगों के नाम नौ जुलाई 2020 को ड्रा में नाम आ चुके हैं, वे 25 जून तक अपनी फीस जमा कराकर रसीद प्राप्त कर लें, ताकि उन्हें खोखे के लिए जगह आवंटित की जा सके। निगम कमिश्नर ने साफ शब्दों में चेतावनी दी है कि 25 जून तक जिन लोगों ने फीस जमा नहीं कराई, उनके नाम लाभार्थियों की सूची से हटा दिए जाएंगे, उन्हें खोखा नहीं दिए जाएंगे।

कांग्रेस नेताओं ने डीसी से की थी शिकायत

इस मामले में एक दिन पहले ही कांग्रेस की पूर्व मंत्री डा.मालती थापर, इंप्रूवमेंट ट्रस्ट के चेयरमैन विनोद कुमार बंसल, जिला कांग्रेस के अध्यक्ष महेशइंदर सिंह निहालसिंह वाला ने डिप्टी कमिश्नर संदीप हंस से मुलाकात कर आग्रह किया था कि निगम ने कुछ लोगों को ही रसीद दी है, निगम इस प्रक्रिया में गड़बड़ी कर रहा है, सभी को रसीदें दी जानी चाहिए। उधर, निगम कमिश्नर अनीता दर्शी ने साफ कर दिया है कि आवंटन प्रक्रिया में किसी प्रकार की गड़बड़ी नहीं है। पिछले साल नौ जुलाई को खोखा लगाने वालों की मौजूदगी में उन्हीं की पर्चियां निकलवाकर 283 में से 235 स्ट्रीट वेंडर के लिए ड्रा निकाला गया था। पूरे ड्रा प्रक्रिया की वीडियोग्राफी की गई थी। निगम कमिश्नर का कहना है कि ड्रा निकले लगभग एक साल होने जा रहा है लेकिन जिन लोगों के नाम ड्रा में निकले हैं, अभी तक उन्होंने फीस ही जमा नहीं करवाई। समाचार पत्रों में विज्ञापन देकर भी फीस जमा कराने के लिए निगम की ओर से अपील की जा चुकी है। अब निगम ने अंतिम फैसला लिया है कि जिन लोगों के नाम ड्रा निकले हैं, अगर वे 25 जून तक फीस जमा करवाकर रसीद नहीं लेते हैं तो उनके ड्रा रद समझे जाएंगे। बाद में उनके आवेदन पर किसी प्रकार का विचार नहीं किया जाएगा। क्या है खोखों का मामला

स्ट्रीट वेंडर पालिसी के तहत पुरानी दानामंडी में साल 2014 में सर्वे किया गया था। सर्वे होने के बाद साल 2015 में नगर निगम बनने के बाद से ही पांच साल तक सिर्फ खोखों पर राजनीति होती रही। निगम ने वेंडर नीति के बाद कोई कार्रवाई नहीं की। इसके चलते साल 2018 में हाई कोर्ट ने खोखों को अवैध अतिक्रमण मानते हुए ध्वस्त कर दिया था, जिस कारण करीब 250 खोखा संचालकों का रोजगार खत्म हो गया था। खोखे जब ध्वस्त हो रहे थे, तब सिर्फ तत्कालीन पार्षद व जिला भाजपा अध्यक्ष विनय शर्मा, तत्कालीन सीनियर डिप्टी मेयर अनिल बंसल व गुरमिदर जीत सिंह बबलू ही खोखे बचाने को पहुंचे थे, लेकिन वे बचा नहीं पाए थे। डा.हरजोत ने नए सिरे से शुरू किए प्रयास

फरवरी 2020 में पहले नगर निगम का कार्यकाल खत्म होने के बाद जब प्रशासक के रूप में निगम कमिश्नर अनीता दर्शी को चार्ज मिला तो विधायक डा.हरजोत कमल ने खोखा संचालकों को दोबारा बसाने के लिए प्रयास शुरू किए। डा.हरजोत कमल के प्रयासों से नौ जुलाई 2020 को खोखा एसोसिएशन व खोखा लगाने वालों की मौजूदगी में ड्रा निकलवाया गया था। उस समय 283 में से 235 लोगों के नाम ड्रा में निकले थे, प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए मीडिया के मौजूदगी में वीडियोग्राफी की गई थी।

सूत्रों का कहना है कि खोखा आवंटन की प्रक्रिया शुरू होने के बाद एक बार फिर सियासत शुरू हो गई। नगर निगम लगातार अपील करता रहा कि जिनके नाम ड्रा में निकले हैं वे 250 रुपये प्रति महीने के हिसाब से एक साल का किराया देकर रसीद ले लें ताकि उन्हें खोखे की जगह दी जा सके। विधायक के प्रयास से स्ट्रीट वेंडर पालिसी से बाहर जाकर खोखा संचालकों के लिए बिजली, पानी, लाइट का इंतजाम भी शामिल किया गया था, लेकिन कुछ लोगों ने आवंटन शुरू होते ही गड़बड़ी का आरोप लगाना शुरू कर दिया। इससे फिर से प्रक्रिया रुक गई थी, नए सिरे से प्रक्रिया शुरू हुई तो पहले दलालों के सक्रिय होने के आरोप लगे, लेकिन जब खोखा एसोसिएशन ने आगे आकर सियासतदानों पर हमला किया कि सियासी रंजिश निकालने के लिए उन्हें मोहरा न बनाया जाए। उसके बाद विरोध करने वालों के सुर बदल गए, बाद में उन्होंने आरोप लगाना शुरू किया कि सभी लोगों को रसीद नहीं मिली है। निगम कमिश्नर ने वीरवार को स्पष्ट कर दिया कि जब किराया ही जमा नहीं होगा तो रसीद कैसे दी जा सकती है।

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