योग करने वाले साधकों को कोरोना संक्रमण छू भी नहीं सका

। शहर के घनी आबादी वाले क्षेत्र मैजेस्टिक रोड पर अपनी योग कक्षाएं संचालित करने वाले राघव बंसल की योग कक्षाएं लाकडाउन में भले ही बंद हो गईं लेकिन आनलाइन तीनों कक्षाएं नियमित रूप से चलती रहीं।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 20 Jun 2021 10:53 PM (IST) Updated:Sun, 20 Jun 2021 10:53 PM (IST)
योग करने वाले साधकों को कोरोना संक्रमण छू भी नहीं सका
योग करने वाले साधकों को कोरोना संक्रमण छू भी नहीं सका

सत्येन ओझा.मोगा

शहर के घनी आबादी वाले क्षेत्र मैजेस्टिक रोड पर अपनी योग कक्षाएं संचालित करने वाले राघव बंसल की योग कक्षाएं लाकडाउन में भले ही बंद हो गईं, लेकिन आनलाइन तीनों कक्षाएं नियमित रूप से चलती रहीं। राघव बंसल नौ-नौ के ग्रुप में तीन कक्षाएं लगाते हैं। राघव बंसल की कक्षा के ये सभी 27 योग साधक कोरोना काल में कोरोना पर विजय हासिल करते रहे हैं। एक भी साधक ने न तो एक दिन भी आनलाइन क्लास छोड़ी, न ही एक भी योग साधक कोरोना काल में बीमार पड़ा।

योग गुरु राघव बंसल का कहना है कि उनकी कक्षाओं में साधकों ने योग के प्रति विशेष उत्साह दिखाया है। नियमित रूप से योग करते रहे हैं, वही वजह रही कि सभी साधक कोरोना संक्रमण से बचे रहे। उनके परिवार में भी सभी लोग योग करते हैं। कोई भी संक्रमित नहीं हुआ। योग के प्रति सभी साधक इस कदर अभ्यस्त हो चुके हैं कि पिछले दिनों जब उन्होंने वैक्सीनेशन करवाई तो दो दिन बुखार रहा। उन दिनों में उन्होंने दो दिन आनलाइन कक्षाएं बंद रखने का फैसला लिया था। तब योग साधकों ने फोन करके उन्हें मजबूत कर दिया कि वे भले ही खुद योग न करें, बस उन्हें बताते रहें जिससे उनका बुखार भी दूर होगा, वे भी नियमित योगाभ्यास करते रहेंगे।

योग पर पूरा भरोसा था

राघव बंसल की कक्षा में ही नियमित योग करने वाली आरती मक्कड़ बताती हैं कि कोरोना काल में उन्हें हर दिन किसी न किसी करीबी को कोरोना संक्रमण होने की सूचना मिलती थी, लेकिन योग पर भरोसा था, योग से सोच सकारात्मक हो चुकी है। यही वजह है कि किसी करीबी के संक्रमित होने की सूचना मिलती है तो उससे डर नहीं लगता था। बस योग के प्रति और ज्यादा विश्वास बढ़ता था,उन्हें लगता है यही वजह है कि कोरोना अब कमजोर पड़ चुका है, दूसरी लहर तो बहुत भयावह री लेकिन वे संक्रमण से खुद को बचा सकीं, इसकी बड़ी वजह वे योग को ही मानती हैं।

केस.1

थापर चौक स्थित कुमार बूट हाउस के मालिक अश्वनी कुमार ने कई साल पुराने अल्सर को योग से मात दे दी है। जीवन का अ‌र्द्धशतक लगा चुके हैं, योग अपने उनके दैनिक जीवन का हिस्सा बन चुके हैं। पांच साल पहले जब अल्सर की समस्या थी तब आए दिन चिकित्सक के पास जाना पड़ता था। तमाम दवाएं खाईं, तभी किसी ने योग करने की सलाह दी, बस इसी सलाह के आधार पर उन्होंने योग गुरु राघव बंसल से संपर्क किया। शुरुआत में सुबह जल्दी जगना मुश्किल लगता था, लेकिन धीरे-धीरे इसकी आदत हो गई, सुबह जल्द जगने से शुद्ध हवा मिलने लगी तो दिन में ज्यादा एनर्जेटिक रहने लगे, धीरे-धीरे उनकी अल्सर की समस्या भी खत्म हो लगी। अश्वनी कुमार बताते हैं कि आज उन्हें योग करते हुए करीब पांच साल पूरे हो चुके हैं, अल्सर की समस्या पूरी तरह खत्म हो चुकी है, दवा तो अब पूरी तरह छूट चुकी है,उनकी ऊर्जा व योग से मिले लाभ को देख अब उनका बेटा भी उनके साथ नियमित रू प से योग कक्षा में जाने लगा है। सही मायने में योग से नया जीवन मिला है। कोरोना काल में वे इससे बचे रहे, उन्हें लगता है योग का ही कमाल था, जो इस बीमारी से बचाकर रखा। केस.2

शहर के प्रमुख व्यवसायी परिवार से संबंध रखने वाली सपना बंसल को पीठ दर्द के चलते वे ठीक से चल फिर भी नहीं पाती थी, लोहे के बेल्ट लगाकर काम करती थीं। ज्यादा समय बेड पर रहना पड़ता था, चिकित्सक ने पहले तो दवाएं दीं, दवाओं से कोई फर्क नहीं पड़ा तो डाक्टर ने सर्जरी की सलाह दी। परिवार के लोग सर्जरी के लिए तैयार हो गए थे तो क्योंकि समस्या गंभीर थी। इसी दौरान किसी ने उन्हें योग करने की सलाह दी, पहले तो लगा कि समस्या काफी ज्यादा जटिल है, इसमें योग क्या करेगा, लेकिन जब योग कक्षा ज्वाइन की तो पहले दिन से ही उन्हें कुछ अच्छा लगा। बाद में वह नियमित रूप से योग कक्षा में जाने लगीं तो पहले तो उन्हें चलने फिरने में परेशानी होती थी,लेकिन लगातार योग करने के बाद उनकी समस्या लगातार कम होने लगी, आज योग करते हुए करीब दस साल का समय गुजर चुका है, उनकी पीठ दर्द की समस्या काफी हद तक ठीक हो चुकी है, पेन किलर छूट चुकी है, डाक्टर के पास भी काफी समय से चेकअप के लिए नहीं गईं। उन्हें नहीं लगता है कि अब कभी पीठ दर्द के लिए सर्जरी भी कराने की जरूरत पड़ेगी। कोरोना काल में भी वे लगातार योग करती रहीं, और संक्रमण से बची रहीं। केस.3

अध्यापिका कनिका बंसल को सरवाइकल की समस्या थी, सरवाइकल पेन इस कदर सिवियर होता था कि कई बार तो उल्टी भी हो जाती थी। बहुत ज्यादा परेशान थीं, तभी उन्हें योग लाइन योग गुरु राघव बंसल से संपर्क हुआ उन्होंने सरवाइकल की समस्या के संबंध में बात की। राघव सर ने उन्हें योग से ठीक होने के भरोसा दिया, उसी भरोसे पर वे पिछले तीन महीने से योग की कक्षाएं ले रही हैं, तीन महीने में ऐसा लग रहा है मानो उन्हें नई जिदगी मिल गई हो, सरवाइकिल की समस्या से काफी ज्यादा राहत मिली है। कनिका बंसल बताती हैं कि सिर्फ सरवाइकल की समस्या ही नहीं, बल्कि अब वे ज्यादा ऊर्जावान रहती हैं,एक्टिव रहती हैं , सरवाइकल की समस्या तो अब उनके लिए अतीत बन रही है।

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